MP हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पर मंदिर हटाने का आरोप, बार एसोसिएशन ने की जांच की मांग, जानें क्या हैं पूरा मामला

srashti
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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत विवादों में घिर गए हैं। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को पत्र लिखकर शिकायत दर्ज कराई है। इसमें आरोप लगाया गया है कि जस्टिस कैत ने अपने आधिकारिक आवास में स्थित एक प्राचीन हनुमान मंदिर को हटवा दिया है। इस मामले में बार एसोसिएशन ने एक विस्तृत जांच की मांग की है।

पुराने हनुमान मंदिर को हटाए जाने का आरोप

बार एसोसिएशन की शिकायत के अनुसार, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के सरकारी आवास में एक प्राचीन हनुमान मंदिर स्थित था। यह मंदिर वर्षों से वहां मौजूद था और कई पूर्व न्यायाधीश जैसे शरद अरविंद बोबडे, ए.एम. खानविलकर ने यहां पूजा-अर्चना की थी। इन न्यायाधीशों ने न केवल मंदिर को संरक्षित रखा, बल्कि इसी आवास से सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत हुए और वहां से सेवानिवृत्त भी हुए।

शिकायत में कहा गया है कि चीफ जस्टिस के सरकारी आवास में काम करने वाले कर्मचारियों और अन्य लोगों के लिए यह मंदिर पूजा का केंद्र था। यहां तक कि जस्टिस रफत आलम और जस्टिस रफीक अहमद जैसे मुस्लिम धर्म से आने वाले न्यायाधीशों ने भी मंदिर को बनाए रखा और इसका सम्मान किया।

बार एसोसिएशन ने की जांच की मांग

बार एसोसिएशन का कहना है कि यह मंदिर सरकारी संपत्ति था और इसके जीर्णोद्धार का कार्य समय-समय पर सरकारी धन से किया गया था। ऐसे में बिना किसी आधिकारिक आदेश या अदालती अनुमति के इस मंदिर को हटाना गलत और गैरकानूनी है। बार एसोसिएशन ने इसे सनातन धर्म के अनुयायियों का अपमान बताते हुए मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने मांग की है कि इस मामले की विस्तृत जांच की जाए और दोषियों पर कार्रवाई की जाए।

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी गई शिकायत

इस घटना के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए वकील रविन्द्र नाथ त्रिपाठी ने देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश और केंद्रीय कानून मंत्री को शिकायत भेजी है। इसके अलावा, एक अन्य वकील ने इस घटना के बाद जनहित याचिका दायर की है।

घटना के बाद दायर जनहित याचिका में मांग की गई है कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की तर्ज पर प्रदेश की सभी पुलिस चौकियों से भी मंदिरों को हटाया जाए।

तूल पकड़ता जा रहा है मामला

यह विवाद न केवल मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बल्कि राज्य और केंद्र स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गया है। बार एसोसिएशन की मांग है कि चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत के इस निर्णय की निष्पक्षता से जांच की जाए और जिम्मेदार लोगों पर उचित कार्रवाई हो।

इस पूरे प्रकरण ने न्यायपालिका की निष्पक्षता और धार्मिक सहिष्णुता को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह है कि मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और संबंधित अधिकारी इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।