बिना पैरेंट्स की अनुमति के बच्चों को नहीं बना सकेंगे Santa, बाल संरक्षण आयोग ने जारी किया आदेश

srashti
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National Commission for Protection of Child Rights Order : मध्य प्रदेश में अब स्कूलों को क्रिसमस के मौके पर बच्चों को सांता क्लॉज़ बनाने से पहले उनके अभिभावकों से लिखित अनुमति लेनी होगी। यह निर्देश बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने जारी किया है, और इसके बाद से राज्य के सभी जिला कलेक्टरों को इस आदेश के पालन के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इस कदम का उद्देश्य बच्चों के सुरक्षा अधिकारों की रक्षा करना और किसी भी अप्रिय स्थिति से बचना है।

बाल अधिकार आयोग ने जारी किया फरमान

बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य अनुराग पांडेय ने इस संदर्भ में एक स्पष्ट आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि अगर कोई स्कूल क्रिसमस के अवसर पर बच्चों को सांता क्लॉज़ के रूप में सजाने की योजना बनाता है, तो उसे बच्चों के अभिभावकों से लिखित अनुमति प्राप्त करनी होगी। आयोग का यह आदेश खास तौर पर उन बच्चों के लिए है, जिन्हें किसी खास वेशभूषा में पेश किया जाएगा।

आदेश में यह भी कहा गया है कि बिना अभिभावकों की स्वीकृति के बच्चों को किसी भी पात्र के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता। इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा करना और यह सुनिश्चित करना है कि उनके साथ किसी प्रकार की मानसिक या शारीरिक असुविधा न हो।

स्कूलों और संस्थाओं के लिए सख्त निर्देश

इस आदेश के तहत, अगर कोई स्कूल या संस्था बच्चों को किसी कार्यक्रम में भाग लेने के लिए किसी विशेष वेशभूषा में तैयार करती है, तो अभिभावकों से लिखित अनुमति आवश्यक होगी। बिना इस अनुमति के किसी भी बच्चे को कार्यक्रम में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती। यदि कोई स्कूल इस आदेश का उल्लंघन करता है और बिना अभिभावकों की अनुमति के बच्चों को कार्यक्रम में शामिल करता है, तो इसके परिणामस्वरूप कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि इस संदर्भ में कोई शिकायत या विवाद उत्पन्न होता है, तो विद्यालय या संस्था के खिलाफ संबंधित कानूनी प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसका पूरी जिम्मेदारी विद्यालय या संस्था की होगी।

मध्य प्रदेश में क्रिसमस के दौरान बच्चों को सांता क्लॉज़ बनाना एक लंबे समय से चली आ रही परंपरा है, और बच्चे भी इसमें बहुत उत्साह से भाग लेते आए हैं। यह एक तरीका है, जिसके जरिए स्कूल और संस्थाएं बच्चों को इस त्योहारी मौसम के दौरान खुशी और आनंद का अनुभव कराती हैं। लेकिन अब इस परंपरा के साथ यह नई शर्त जोड़ी गई है, जिससे स्कूलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके कार्यक्रम बच्चों की मानसिक और भावनात्मक भलाई को ध्यान में रखते हुए हों।

क्या है इस आदेश का उद्देश्य?

बाल अधिकार संरक्षण आयोग का यह कदम बच्चों के सुरक्षा अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए है। अक्सर बच्चों को कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए वेशभूषा पहनने या किसी खास पात्र के रूप में प्रस्तुत करने का दबाव होता है, जो कभी-कभी बच्चों के लिए असहज या अनुचित हो सकता है। आयोग का यह निर्देश सुनिश्चित करेगा कि बच्चों की इच्छाओं और सुरक्षा का सम्मान किया जाए, और उनके अभिभावकों को निर्णय लेने का पूरा अधिकार हो।