Kharmas 2024: आज ही निपटा लें शुभ काम, फिर एक महीने तक नहीं कर पाएंगे कोई शुभ कार्य, कल से लग रहे हैं खरमास

Meghraj
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Kharmas 2024 : पौराणिक ग्रंथों के अनुसार खरमास के दौरान शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं, लेकिन इस समय पूजा-पाठ, दान और खरीदारी की जा सकती है। हालांकि, इस अवधि में कुछ विशेष शुभ मुहूर्त होते हैं, जिनमें दान और जरूरतमंदों की मदद की जा सकती है। यह समय विशेष रूप से ध्यान, मंत्र जाप और तीर्थ यात्रा के लिए उपयुक्त माना जाता है।

कब शुरू होगा और कब खत्म होगा?

15 दिसंबर 2024 को सूर्य रात 10:19 बजे वृश्चिक राशि से निकलकर गुरु की राशि धनु में प्रवेश करेगा। इस समय से लेकर 14 जनवरी 2025 तक खरमास रहेगा। 14 जनवरी को मकर राशि में सूर्य के प्रवेश के साथ खरमास का समापन होगा। इस अवधि में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्यों को टाला जाता है।

खरमास के दौरान विशेष रूप से मंत्र जाप, दान और तीर्थ यात्रा करने की परंपरा है। इस समय पवित्र नदियों में स्नान करने और प्रमुख मंदिरों में दर्शन करने की संख्या में वृद्धि होती है।

साल में दो बार आता है खरमास

साल में दो बार सूर्य बृहस्पति ग्रह की राशियों धनु और मीन में प्रवेश करता है। पहले धनु राशि में 15 दिसंबर से 14 जनवरी तक और फिर मीन राशि में 15 मार्च से 15 अप्रैल तक। इन दो महीनों में जब सूर्य और बृहस्पति का संयोग होता है, तब खरमास की स्थिति बनती है, और किसी भी मांगलिक कार्य को नहीं किया जाता है।

खरमास का मौसम पर प्रभाव

सूर्य के राशि परिवर्तन से मौसम में बदलाव होता है, और खरमास के दौरान हेमंत ऋतु का प्रभाव रहता है। सूर्य के धनु राशि में आने से दिन छोटे और रातें लंबी होती हैं, साथ ही मौसम में भी बदलाव आता है। गुरु की राशि में सूर्य के आने से मौसम में अनचाहे बदलाव, जैसे बादल, धुंध, बारिश और बर्फबारी भी हो सकते हैं।

खरमास में क्यों नहीं होते हैं शुभ मुहूर्त?

सूर्य पंचदेवों में से एक हैं, और शुभ कार्यों के समय सूर्य, गणेश जी, शिव जी, विष्णु जी, और देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। जब सूर्य अपने गुरु की सेवा में होते हैं, तो सूर्य की शक्ति कम हो जाती है, और गुरु ग्रह का बल भी घटता है। इस कारण से, सूर्य और गुरु दोनों ग्रहों की कमजोर स्थिति के कारण मांगलिक कार्यों को टाला जाता है।

खरमास में दान का महत्व

खरमास में दान करने से तीर्थ स्नान के समान पुण्य मिलता है। इस महीने में किये गए व्रत और दान से जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है। इस समय खासतौर पर जरूरतमंदों, साधुजनों और दुखियों की मदद करने की महिमा है।

खरमास में ग्रंथ पाठ और पूजा की परंपरा

खरमास के दौरान विशेष रूप से श्रीराम कथा, भागवत कथा और शिव पुराण का पाठ करना लाभकारी माना जाता है। इस समय कम से कम एक ग्रंथ का पाठ पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसा करने से न केवल धार्मिक लाभ मिलता है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि के सूत्र भी मिलते हैं।

खरमास में सूर्य पूजा का विशेष महत्व है। रोज़ सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद तांबे के लोटे से सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। जल में कुमकुम, फूल और चावल डालकर सूर्य मंत्र “ॐ सूर्याय नम:” का जाप करें। यह पूजा पुण्यकारी मानी जाती है और सूर्य ग्रह की शक्ति को संतुलित करने में मदद करती है।

मकर संक्रांति पर खत्म होगा खरमास

14 जनवरी को मकर राशि में सूर्य के प्रवेश के साथ खरमास खत्म हो जाएगा, और मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन से खरमास का समापन होता है और फिर मांगलिक कार्यों की शुरुआत की जाती है।

खरमास की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान सूर्यदेव अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा करते हैं। एक बार घोड़ों के थक जाने पर सूर्यदेव ने गधों से रथ खींचवाया, जिससे रथ की गति धीमी हो गई। इसी दौरान सूर्यदेव ने गधों को रथ खींचने की अनुमति दी और इस कारण से हर साल खरमास आता है। यही वजह है कि इस समय कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है।