इंदौर। इंदौर में एसोसिएशन ऑफ कोलन एंड रेक्टल सर्जन्स ऑफ इंडिया की तीन दिवसीय 46वीं एनुअल नेशनल कांफ्रेंस – ACRSICON 2023 के दूसरे दिन देश भर से आए सर्जन डॉक्टर्स ने गुदा द्वार, बड़ी आंत एवं पाइल्स, फिशर्स और फिस्टुला के बारे में करीब 30 सत्रों में चर्चा की और तीन लाइव हैंड्स ऑन डेमो के माध्यम से विशेषज्ञों ने नई तकनीकों को बारीकी से समझा।
कल से शुरू हुई और रविवार 1 अक्टूबर 2023 तक चलने वाली इस कांफ्रेंस का आयोजन इंदौर की जीआई प्रोक्टो सर्जन सोसाइटी द्वारा एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स ऑफ इंडिया (एएसआई) इंदौर सिटी चैप्टर के सहयोग से हो रहा है। कांफ्रेंस के दूसरे दिन सीएचएल हॉस्पिटल में सर्जिकल गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. सीपी कोठारी, डॉ. अशोक लड्ढा एवं डॉ प्रदीप शर्मा द्वारा की जा रही सर्जरी का लाइव डेमोंसट्रेशन रेडिसन होटल के कांफ्रेंस हॉल में किया गया।
पाइल्स की सर्जरी बगैर बेहोश किए भी की जा सकती है इसका सफलता पूर्वक लाइव डेमो गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. अशोक लड्ढा द्वारा दिया गया, जिससे नए सर्जन्स को इस बारे में सीखने को मिला।
सिंगापुर से आए जनरल सर्जन डॉ. एस. के. मंटू ने बताया “पाइल्स के बारे में सभी को पता है, लेकिन पाइल्स, फिशर और फिस्टुला को लेकर संशय में रहते हैं, क्योंकि इन तीनों के लक्षण सामान्य है, जिन लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती वे गुदा द्वार से रक्त आने पर बिना जांच के पाइल्स का इलाज शुरू कर देते हैं और बीमारी गंभीर रूप धारण कर लेती है, कभी कभी यह कैंसर भी हो सकता है, इसलिए लोग जांच के बाद ही इलाज करवाएं। फिस्टुला को आम भाषा में भगंदर कहा जाता है।
इस बीमारी में व्यक्ति के गुदा में फोड़े आने लग जाते हैं। यह फोड़े उठने बैठने चलने में भी तकलीफ देने लगते हैं। मल त्यागने में बहुत ज्यादा समस्या आती है। अगर वक्त पर इसका इलाज न किया जाए तो यह कैंसर का भी रूप ले सकता है। फिशर भी फिस्टुला जैसी बीमारी है। इसमें मल त्यागने वाली जगह पर एक प्रकार की दरार आ जाती है, जिन्हें कब्ज होता है या कठोर मल निकलता है उन्हें यह दरार आ जाती है, इसमें भी मल त्यागने में बहुत कठिनाई होती है, जबकि बवासीर या पाइल्स एक ऐसी बीमारी है जिसमें एनस के अंदर और बाहरी हिस्से की शिराओं में सूजन आ जाती है।
इसकी वजह से गुदा के अंदरूनी हिस्से में या बाहर के हिस्से में कुछ मस्से जैसे बन जाते हैं, जिनमें से कई बार खून निकलना और दर्द भी होता है। कभी-कभी मल त्यागने के दौरान जोर लगाने पर ये मस्से बाहर की ओर आ जाते हैं। पाइल्स में गुदा के क्षेत्र में खुजली या चुभन होने लगती है। इसके शुरुआती लक्षण में अंडरवियर या टॉयलेट पेपर में चिपचिपा म्यूकस आना, गुदा द्वार के आसपास सूजन या रक्त स्राव शामिल है। शुरुआती चरण में पाइल्स दवाईयों, सेहतमंद उच्च फाइबर वाले आहार और पूरा दिन पानी पीने से ठीक हो सकता है।“
मुंबई से आए विशेषज्ञ गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जन डॉ रॉय पाटणकर ने बताया “जिन महिलाओं की नार्मल डिलीवरी होती है, उनमें पेरिनियल दर्द होना काफी आम बात है। इन ऊतकों में डिलीवरी के दौरान खिंचाव या चोट लग सकती है, जिससे उनमें सूजन, चोट और दर्द महसूस हो सकता है। ये असुविधाएं एपीसीओटॉमी द्वारा बढ़ भी सकती हैं। एपीसीओटॉमी में योनि को ठीक रखने के लिए डिलीवरी के दौरान कभी-कभी पेरिनियम में चीरा लगाया जाता है। ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक दवाएं इसमें मदद कर सकती हैं।
जब मरीज को ये दर्द महसूस हो, तो सलाह है कि कीगल एक्सरसाइज करें। ये आपकी योनि की मांसपेशियों को मज़बूत करते हैं। अगर योनि क्षेत्र में अत्यधिक या लगातार दर्द हो रहा है, तो व्यायाम करना बंद कर दें और डॉक्टर से परामर्श करें। बच्चे के जन्म के बाद कुछ महिलाओं में मूत्र और मल असंयम भी हो जाता है। खासकर हँसते और खांसते समय मूत्र का अनजाने में निकास, आमतौर पर गर्भावस्था और प्रसव के दौरान मूत्राशय के खिंचने के कारण होता है। आमतौर पर, आपकी मांसपेशियों को टोन होने और सामान्य अवस्था में लौटने के लिए समय की आवश्यकता होती है।
एसे मरीज कीगल एक्सरसाइज करके इस प्रक्रिया को और जल्दी ठीक कर सकती हैं। इस समय सैनिटरी नैपकिन का उपयोग नहीं करना चाहिए। यदि मरीज दर्द या जलन का अनुभव करती हैं, या बहुत तेज़ पेशाब आने का अनुभव करती हैं तो अपने डॉक्टर को बताना चाहिए क्योंकि यह मूत्राशय के संक्रमण का संकेत हो सकता है।“
कांफ्रेस के ऑर्गेनाइजिंग ट्रेज़रर, लेप्रोस्कोपिक, कोलोरेक्टल और जनरल सर्जन डॉ. प्रणव मंडोवरा ने कान्फ्रेंन्स के बारे में कहा ” इस तीन दिवसीय सम्मेलन में लेजर, स्टेपलर, रोबोटिक्स और अन्य जैसी नई तकनीकों और उनके उपयोग पर हैण्ड ऑन वर्कशॉप हो रही है। इसका लक्ष्य रोगियों को बेहतर देखभाल प्रदान करने के लिए नई जानकारी, तकनीक और प्रौद्योगिकियों के साथ हमारे प्रोफेशनल सर्जन्स को सशक्त बनाना है।
कॉन्फ्रेंस में क्षेत्र में अनुभवी और कुशल सर्जन्स द्वारा कोलन और रेक्टल सर्जरी में अपने कठिन केसेस पर गेस्ट लेक्चर, महत्वपूर्ण विषयों पर बातचीत, विशेषज्ञों के साथ पैनल डिस्कशन, पोस्टर और रिसर्च पेपर प्रेजेंटेशन, लाइव ऑपरेटिव वर्कशॉप और हाल में हुई तकनीकी प्रगति पर सेमिनार किये। कांफ्रेंस में करीब 700 सर्जन्स शामिल हुए।“