द्वितीय दिन “भक्ति दिवस”
साधर्मिक भक्ति, तप, जिन मंदिरों के दर्शन एवं संघ पूजा श्रावक के कर्तव्य है
प्रवचनकार मुनिराज श्री ऋषभरत्नविजयजी ने पर्युषण के दूसरे दिन “भक्ति दिवस” के संबंध में प्रवचन दिया। पर्युषण पर्व पर पाँच कर्तव्यों का विधान बताया गया है उनमें से तीन कर्तव्य प्रथम दिन पूर्ण हुए और आज दो कर्तव्यों एवं 11 वार्षिक कर्तव्यों में से तीन पर प्रवचन हुए। अठ्ठम तप, चैत्य परिपाटी, संघ पूजा, साधर्मिक भक्ति, यात्रात्रिक, रथ यात्रा।
मुनिवर का नीति वाक्य
“जो करे साधर्मिक भक्ति, उस पर है प्रभु की दृष्टि”
पर्युषण महापर्व में प्रवचन, प्रतिक्रमण एवं भक्ति बहुत ही उल्लास से चल रही है एवं सभी श्रद्धालु आनंद में लीन हैं। राजेश जैन युवा के अनुसार श्री संघ में कई तपस्या चल रही हैं। श्रीमती शेफाली मेहता को 30 दिन के उपवास की तपस्या चल रही है और आज 24 पूर्ण हो गये हैं। सभी कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में पुरुष, महिलायें व बच्चे उपस्थित होकर हिस्सा ले रहे हैं। आज के प्रवचन में हजारो महिला / पुरुष के साथ श्री दिलीप शाह, प्रमोद जैन, विकास जैन, महेश कोठारी सहित कई श्रद्धालु उपस्थित थे। आज तिलकेश्वर पार्श्वनाथ की भव्य अंग रचना की गई।