इंदौर : आज के दौर में जैसे जैसे हम वेस्टर्न डाइट की और बढ़ रहे हैं, इस वजह से हमारे खाने में फाइबर का इस्तेमाल कम हो रहा है। टैस्ट और रिफाइंड की इस होड़ ने हमारे शरीर में कई बीमारियां पैदा कर दी है। जिसमें स्पाइसी फूड, ऑयली फूड, रिफाइंड फूड, बढ़ती कार्बोहाइट्रेड और फैट डाइट में बढ़ता जा रहा है। वहीं स्वस्थ शरीर के लिए जरूरी प्रोटीन और फाइबर धीरे धीरे गायब होता जा रहा है। इन फूड से गैस और एसिडिटी के अलावा कई जानलेवा बीमारियां सामने आ रही हैं जिसमें गैस्ट्रो से संबंधित कैंसर जैसी समस्या सामने आ रही है। यह बात डॉक्टर तलहा नूर ने कही वह अरविंदो इंस्टिट्यूट में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी डिपार्टमेंट में एचओडी और हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई एएमयू अलीगढ़ एमडी और डीएम गैस्ट्रोएंटरोलॉजी में PGIMER चंडीगढ़ से किया है। वह शहर के प्रतिष्ठित अरविंदो अस्पताल से कई सालों से जुडे़ हुए हैं। उन्होंने चण्डीगढ़ के वह उत्तर प्रदेश के रहने वाले है, लेकिन इंदौर में वह 2011 से कार्यरत है।
हम ऑटोमेटेड मशीनरी की और बढ़ रहे है, एक्सरसाइज दिन ब दिन कम होती जा रही है
उन्होेंने बताया की आज हम ऑटोमेटेड मशीनरी की और बढ़ रहे है, एक्सरसाइज दिन ब दिन कम होती जा रही है। पहले साइक्लिंग, पैदल चलना आम बात थी। जितना हमारा शरीर मूव करता है, इतना ही हमारी पसलिया मूव करती है। पसलियों के कम मूवमेंट से बेक्ट्रिया, गैस, एसिड और अन्य समस्या सामने आती है। वहीं ज्यादा तनाव और पैनकिलर के ज्यादा इस्तेमाल का भी दुष्प्रभाव हमारे लीवर और पेट पर पड़ता है। आजकल जीवन की व्यस्तता के चलते व्यक्ति नही कर पाता है। रात के खाने और लेटने में कम से कम 2 घंटे का गैप होना चाहिए, लेकिन हम व्यस्तता के चलते लेट नाइट डिनर करते है, और सीधे सोने चले जाते है इस वजह से कई समस्या सामने आती है।
लाइफ स्टाइल और खान पान से हो रही समस्या
हमारी डाइट और लाइफ स्टाइल की वजह से आज के दौर में पेट से संबंधित समस्याएं सामने आ रही हैं, अगर बात लाइफ स्टाइल की करी जाए तो लेट सोना, कम एक्सरसाइज, समय पर खाना पीना नही, तनाव और अन्य चीजों का असर हमारी पाचन क्रिया पर पड़ता है, और इसके दुष्परिणाम देखने को सामने आते हैं। वहीं बात अगर रिफाइंड फूड की करी जाए तो इसके सेवन में बढ़ोतरी हुई है। जिससे गैस, कॉन्स्टीपेशन, लीवर सिरोसिस और अन्य समस्या लोगों में देखने को मिल रही है।
चेकअप से विचलित करने वाले आंकड़े सामने आ रहे हैं
आज के दौर में कई लोग अल्कोहल का ज्यादा सेवन करते हैं, जिसका दुष्प्रभाव हमारे लीवर और पेट के अन्य भागों पर पड़ता है, साथ ही कई प्रकार के वायरस हमारे लीवर को डैमेज करते हैं। अगर बात हिपेटाइटिस बी और हिपेटाइटिस सी की करी जाए तो यह लंबे समय तक बने रहते हैं।इस तरह की समस्या एक सूई को दोबारा इस्तेमाल करने, माता से बच्चों में और सेक्शुअल इंटरकोर्स के दौरान प्रोटेक्शन न लेना, शामिल है। हिपेटाइटिस बी को वैक्सीन के माध्यम से काफी हद तक कम किया जा सकता है, हिपेटाइटिस सी से लड़ने में कुछ प्रिकॉशन कारगार साबित हो सकते है। आज के दौर में इनमें होने वाले चेकअप से विचलित करने वाले आंकड़े सामने आ रहे हैं।