इंदौर। सामान्य रूप से हम देखते हैं कि, छाती में दर्द होता है, और हार्ट अटैक (Heart Attack) से इंसान की मौत हो जाती है, वहीं जो कैस आजकल देखने को मिल रहे हैं उनमें मांसपेशियों और वॉल्व की बीमारियों के कारण हार्ट बीट इरेगुलर होती है, और कार्डियक अरेस्ट से मौत हो जाती है। लोगों में यह भ्रांति है कि अचानक हुआ या पेशेंट की कोई हिस्ट्री नही थी, आजकल देखने और पढ़ने में आता है कि किसी व्यक्ति को रनिंग, जिम और अन्य चीजें करने के दौरान अचानक हार्ट अटैक आया और मौत हो गई।
ऐसा तभी होता है जब किसी व्यक्ति को अंडरलाइन कार्डियक प्रोब्लम रहती है, जिसमें हार्ट की नसों में ब्लॉकेज, हार्ट की मांसपेशियों, और हार्ट की वॉल्व से संबधित होती है। यह सामान्य रूप से दिखाई नहीं देती है लेकिन रूटीन एक्जीक्यूटिव हेल्थ चेकअप करवाने से पता चलती है। इसमें हार्ट से संबंधित 70 से 80 प्रतिशत बीमारियों को पकड़ा जा सकता है। जिससे 90 प्रतिशत इस तरह के हादसे कम किए जा सकते हैं। यह बात कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर अलकेश जैन ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही, वह शहर के प्रतिष्ठित हॉस्पिटल मेदांता में अपनी सेवाएं दे रहे है।
युवाओं में हार्ट संबधित बीमारी पिछले 2 सालों में 5 प्रतिशत तक बढ़ी
20 साल के अनुभव में पिछले दो सालों में यंग पॉपुलेशन में हार्ट के मरीज काफी देखे है, इनमें 5 से 7 प्रतिशत की बढ़त हो गई है, वेस्टर्न पॉपुलेशन के मुकाबले इंडियन यंग लोगों में यह बीमारी ज्यादा पाई जाती है। इसका कारण खान पान, लाइफ स्टाइल, जैनेटिक, डायबिटीज की हिस्ट्री, कम एक्सरसाइज, मोटापा, ब्लड प्रेशर आदि है। डॉक्टर अलकेश जैन (Dr. Alkesh Jain) ने अपनी एमबीबीएस और एमडी की पढ़ाई एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर से की है। इसके बाद डीएम कार्डियोलॉजी संजय गांधी मेडिकल कॉलेज लखनऊ से किया।
मेडिकल फील्ड में हैदराबाद के निजाम इंस्टिट्यूट में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। वहीं एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में काम करने के बाद इंदौर के प्रतिष्ठित चोइथराम और गोकुलदास हॉस्पिटल में कंसलटेंट कार्डियोलॉजिस्ट के रूप में सेवाएं दी, अभी वर्तमान में शहर के प्रतिष्ठत मेदांता हॉस्पिटल में एसोसिएट डायरेक्टर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अभी तक वह 25 हजार से ज्यादा एंजियोग्राफी और 10 हजार से एंजियोप्लास्टी कर चुके हैं।
जेनेटिक कारण भी हो सकता है, हार्ट संबंधित बीमारी का
कुछ लोगों में हार्ट संबंधित समस्या जेनेटिक भी हो सकती है, सिंगल पेरेंट की वजह से 20 प्रतिशत तो डबल पेरेंट में इसके चांस 40 प्रतिशत तक बढ़ सकते है, इससे डरने के बजाय चेकअप करवाकर प्रिकॉशन लेना जरूरी है। इससे इस समस्या से निपटा जा सकता है, पहले के मुकाबले अब टेक्नालॉजी बढ़ गई है, अब ड्रग कोटेड स्टेंड और फ्लेक्सिबल आ रहे हैं। वहीं और अन्य बदलाव इस फील्ड में हुए है।
बार बार एक तेल में चीजों को फ्राय करने से हाइड्रोजेनेटेड फैट बढ़ जाता है,
घर के खाने के बजाय लोग बाहर का जंक फ़ूड, फैटी फूड का सेवन करते हैं, एक ही तेल में दिन भर कचौरी, समोसे, पिज्जा, बर्गर, फ्रेंच फ्राइज़, और अन्य चीजें फ्राय की जाती हैं। बार बार फ्राय करने से इन चीजों में हाइड्रोजेनेटेड फैट बढ़ जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक होता है, आज कल फैटी हार्ट से संबधित मौत में से 70 प्रतिषत मौत को प्राइमरी प्रिवेंशन से बचाया जा सकता है, सबसे पहले तो अपने रिस्क फैक्टर को पहचाने, जिसमें डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और लिपिड प्रोफाइल करवाकर इन्हें कंट्रोल में रखे। इसके लिए लाइफ स्टाइल पर ध्यान दे स्ट्रेस से बचे, फल, सब्जियां ले और नियमित रूप से एक्सरसाइज करे।