प्रवासी साहित्य के बीच सेतु विषय पर बोलते हुए डॉ प्रतिभा कटियार ने कहा कि आज का दौर ऐसा है जिसमें सभी स्त्रियां प्रवासी हो गई है और यहां तक की मजदूर भी प्रवासी हैं लेकिन इसके बावजूद जो बाहर के देशों में रह रहे हैं और लिख रहे हैं वे भारतीय संस्कृति के साथ-साथ उन देशों की संस्कृति से भी जुड़ गए हैं यही वजह है कि उनके लेखन में विविधता झलकती है ।
दो देशों की संस्कृति के बारे में जब हम पढ़ते हैं तो हमें नवीनता का आभास होता है
इससे पहले इस विषय पर विषय की प्रस्तावना रखते हुए पदमा राजेंद्र ने कहा कि प्रवासी साहित्य से हमें अपने देश की खुशबू मिलती है उन्होंने अनेक प्रवासी साहित्यकारों द्वारा लिखे गए साहित्य का उल्लेख किया ।
प्रतिभा कटियार ने कहा कि भारत में जो लड़ाइयां लड़ी जा रही है क्या उन्हें प्रवासी साहित्यकार अपने लेखन में ला रहे हैं यह भी हमें देखना होगा उन्होंने कहा कि भारत में स्त्री को जिन स्थितियों का सामना करना पड़ता है क्या अमेरिका की स्त्री भी उन स्थितियों का सामना कर रही है इन सब को भी देखना होगा ।
प्रवासी साहित्य का सेतु इसलिए भी महत्वपूर्ण है इसके माध्यम से विदेश की खुशबू हमारे देश आती है और हमारे देश की खुशबू वहां तक पहुंचती है उन्होंने बताया कि विदेश में रह रहे साहित्यकारों ने वहां की स्त्रियों के दर्द को भी व्यक्त किया है उन्होंने कहा कि आज की दुनिया मुक्त होकर सोचना चाहती है उन्होंने कहा कि शब्दों का ढेर साहित्य नहीं है लेखन की सार्थकता भी देखें जानी चाहिए आज वैसे भी देशों के बीच की दूरियां मिट गई है ।