आभासी गोष्ठियों के लंबे सिलसिले के पश्चात जब सखियां एक- दूजे से यथार्थ में रूबरू हुईं, तो उनकी प्रसन्नता व उत्साह देखते ही बन रहा था। उस पर प्रकृति के सानिध्य व खुले वातावरण ने मानो सोने पर सुहागा का काम किया। सखियों ने अंत्याक्षरी व नृत्य का जमकर आनंद उठाया। झूले, बैलगाड़ी की सवारी और रस्सी पर आधारित विभिन्न क्रीड़ाएं उन्हें अपने बचपन की ओर लौटा ले गईं।
जादू, कठपुतली का खेल, राजस्थानी भोजन का सभी ने मिलकर लुत्फ उठाया
नए सदस्य और पूर्व सदस्य आपस में एक- दूजे को, उनकी खूबियों को जान- समझ सकें; इस हेतु परिचय सत्र का आयोजन भी हुआ। गर्मी के आगमन पर सब सखियों ने मिलकर पानी के अपव्यय को रोकने का संकल्प लिया। इस अवसर पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में संगीता परमार, अर्चना लवानिया व शोभा प्रजापति प्रथम तथा सरला मेहता,प्रीति दुबे,कविता अर्गल व रूपाली पाटनी द्वितीय रहीं।
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संस्था अध्यक्ष अमर चड्ढा ने सबका स्वागत करते हुए कहा कि इस तरह के संयोजनों से आपसी मेल- मिलाप बढ़ता है, साथ ही त्योहारों का आनंद भी दोगुना हो जाता है। सचिव इंदु पाराशर ने संस्था की आगामी गोष्ठियों व योजनाओं के बारे में सदस्यों से जानकारी साझा की। शाम को सब बहुत सारी सुंदर- सुंदर यादों को मन की मंजूषा में संजो कर वापस लौटे।