डॉ.राम श्रीवास्तव
1960 में Holkar College की जमीन वर्तमान देवी अहिल्या वि०वि० के इंजीनियरिंग कालेज (Devi Ahilya University’s Engineering College) की सीमा तक थी । जब यूनीवर्सिटी का “आई ई टी” इंजीनियरिंग कालेज बना तो उसके लिए पास लगे गॉव की चरनोई की जमीन दी गई ।होलकर कालेज की जमीन की सीमा पर कालेज के एक चौकीदार की झौंपडी बनाकर प्राचार्य डा० डब्लू वी भागवत ने जमीन की सुरक्षा के लिए रहने की अनुमति दी थी । 1964 में इन्दौर वि० वि० बनने के साथ ही सडक पार की पूरी जमीन वि० वि० के पास चली गई ।
शुरू के 10 सालों तक वि० वि० ने अपनी जमीन की तवज्जो नहीं की ।इस कारण जिस चौकीदार को डाक्टर भागवत ने रखा था उसने सरकारी ढील पोल का फायदा उठाकर खण्डवा रोड पर पूरी पट्टी में अपने सब नाते रिश्तेदारों को बुलाकर जूते चप्पलों की दुकाने लगवा दी । इसके बाद मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह का जमाना आगया। फरमान निकला जो जहॉ पर सरकारी जमीन पर रह रहा है ,उसके नाम पट्टा कर दिया जाए ।फिर क्या था एक लम्बे चौडे भूभाग पर जूते चप्पलों की दुकाने और रहने के घर बन गए , जो आज भी मौजूद हैं ।
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होल्कर कालेज के बजट में एक पाडा गाड़ी और एक गाडी चलाने वाले गाडीवान की पोस्ट आज भी है । पुराने होलकर कालेज की होस्टल में फ्लश की लेट्रिन नहीं होती थी । लेट्रिन डब्बे में गिरती थी, उसे पाडा गाडी के टेन्क में डालकर जहॉ पर आज जानकीनगर है वहॉपर “कालेज का ट्रेन्चिंग ग्राऊन्ड होता था । उस ग्राऊन्ड के गड्डों में उस लेट्रिन को दफनाया जाता था ।होलकर कालेज से कला और वाणिज्य की कक्षाए अलग करके जब गवर्नमेन्टआर्ट एण्ड़ कामर्स कालेज बना , उसका शिलान्यास करने स्वंय पंडित नेहरू आए ।
उसी समय होलकर कालेज की नई होस्टल बनी । तब कहीं जाकर फ्लश लेट्रिन बनी और सेप्टिक टैन्क बनाए गए । इस प्रकार पुरानी पाडा गाडी, मैला ढोकर ट्रेंन्चिंग ग्राऊन्ड में गाडने की परम्परा बन्द होगई ।1960 और 1970 के बीच में बद्री-भोला नाम के एक कालोनाईजर ने जानकीनगर कालोनी का विकास शुरू किया । 1971 में जब होलकर कालेज में प्राचार्य रविप्रकाश थे, होलकर कालेज के ट्रेंचिंग ग्राऊन्ड पर अवैध्य कब्जा होने लगा।
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खबर मिलते ही रविप्रकाश जी छात्रों और शिक्षकों के साथ मौके पर पहुंचे । ट्रेंन्चिंग ग्राऊन्ड पर कब्जा हटाकर चारों तरफ फेन्सिंग कर दी । एक झौपडी बनाकर चौकीदार रख दिया । ट्रेंन्चिंग ग्राऊन्ड की उस जमीन पर “कन्या छात्रावास”बनाने का प्रस्ताव शासन को भेज दिया । जानकीनगर स्थित कालेज की जमीन को होलकर कालेज के कुछ कर्मचारी नेताओं ने पूरी तरह धोखाधड़ी करके एक सोसाईटी बनाकर हडप ली । फिर उस जमीन को “बत्रा”नामक एक बिल्डर को सौंप दी ।
जब बिल्डर ने होल्कर कालेज की लड़कियों की होस्टल के लिये सुरक्षित जमीन पर मल्टी बनाना शुरू किया तो, जानकी नगर के रहवासी कोर्ट से स्टे ले आये । इस बीच रविप्रकाश जी ने जिस चौकीदार को जमीन की रक्षा करने की जिम्मेदारी दी थी । उस चौकीदार के बच्चों ने उस जमीन के एक तिहाई हिस्से पर अवैध्य कब्जा अभी भी कर रखा है।करोड़ों रूपयों की बहुमूल्य भूमि अब अदालत की फाईलों मे सो रही है ।
कर्मचारी नेता इतने ताकतवर रहे हैं कि जब कभी भी कोई प्राचार्य इस जमीन का मामला उठाता था तो उस प्राचार्य की झूंठी शिकायतें कर करके उसका तबादला करा दिया जाता था । जमीन हडपने के इस षड़यन्त्र में भोपाल के संचनालय के कर्मचारी भी शामिल थे ।क्योंकि जब कभी प्राचार्य गोपनीय पत्र शासन को इस प्रकरण में लिखता था , तो कर्मचारी नेता उस पत्र को तुरन्त लाकर प्राचार्य को लाकर बता देते थे और कहते थे आप जितनी चाहो हमारी शिकायतें करलो हमारा कुछ नहीं होगा ।
सरकारी होलकर कालेज की जमीन को जानबूझकर किस तरह से भूमाफिया को परोसा जाता है उसका उदाहरण देखना हो तो नवलखा की ओर कालेज की बाऊन्ड्री वाल को देख कर अन्दाज लगाया जा सकता है । जहॉ पर भू-माफिया ने ए बी रोड़ पर कालेज की जमीन पर कब्जा कर रखा है ।और बाऊन्डरी वाल बनाते समय सॉठगॉठ से अवैद्य निर्माण को यथावत छोड़कर कालेज की बाऊन्ड्री वाल को ही मोड दिया गया है ।
अगर 1955 के नजूल के मूल नक्षे को देखा जाय तो पता चलेगा कि “जानकीनाथ का मन्दिर “ जिस जमीन पर बना है वह कालेज की सीमा में आज से 60 साल पहिले थी ।कालेज की बाऊन्ड्री वाल बनाते समय जानबूझ कर जमीन को छोड़कर 10 फुट भीतर करके दीवार बनाई गई । अब बाऊन्ड्री वाल के बाहर कालेज की 10 फुट जमीन पर जानकीनगर के रहवासियों ने अवैध्य कब्जा करके पार्किंग और बगीचे बनाकर जमीन घेर कर जबरन कब्जा कर लिया है ।
अब इस प्रकार जानबूझकर छोडी हुई जमीन पर भूमाफिया व्दारा पक्का निर्माण करके शापिंग काम्प्लेक्स बना लिया गया है । यह तो शुरूआत है , अब धीरे धीरे कालेज की बाऊन्ड्री वाल के बाहर छोडी गई जमीन पर भी पक्के निर्माण हो जावेंगे। और यह सब काम प्रशासन के सबसे खतरनाक प्राणी “पटवारी” के हाथों से किया जाता है । अचम्भे की बात है कि तेहसीलदार महोदय व्दारा पटवारी को जॉच करने के लिये भेजने का आदेश दिया गया है ।जब पटवारी की सॉठगॉठ से ही जमीन की अफरातफरी होती है।फिर भला पटवारी क्या जॉच करेगा ?अब सच में होलकर कालेज की जमीन का सही सीमॉकन कराना है तो नजूल विभाग के मूल 1955 वाले नक्शे से जॉच करके करना चाहिये ।