प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री मीडिया प्रभारी के.के. मिश्रा(General Secretary of the State Congress, K.K. Mishra) ने पत्रकार वार्ता के माध्यम से प्रदेश की शिवराज सरकार(CM Shivraj) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि इस पत्रकार वार्ता के माध्यम से कांग्रेस पार्टी प्रदेश में एक लोकतांत्रिक सरकार नहीं होने का गंभीर आरोप लगाते हुए कहना चाहती है कि यहां दो सरकार, दो संविधान, दो मुख्यमंत्री और दो कानूनों के माध्यम से प्रदेश सरकार द्वारा दोहरी व्यवस्था संचालित की जा रही है, जो भविष्य के लिए एक घातक संकेत है।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री मीडिया प्रभारी के.के. मिश्रा ने कहा कि प्रदेश में निरंतर ध्वस्त होते जा रहे गुड-गवर्नेंस की असफलता से चिंतित मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कथित कसावट वाली अपनी छवि प्रदर्शित करने हेतु प्रचारवादी राजनेता के रूप में सार्वजनिक मंचों पर कह कुछ और रहे हैं और कर कुछ और रहे हैं!
मसलन, प्रदेश में गरीबों के राशन पर डाका डालने, मिलावटखोरों और मुनाफाखोरों के खिलाफ कई सार्वजनिक मंचों से उन्होंने इनके विरूद्ध कड़ी कार्यवाही करने, एफआईआर करने, यही नहीं अधिकारियों को यह भी निर्देशित किया कि एफआईआर का मतलब सिर्फ कार्यवाही ही नहीं उन्हें जेल भेजा जाये, किंतु इतने बड़े गंभीर मामलों में उनका दोहरा आचरण सामने आया है!
मिश्रा ने कहा कि हाल ही में अशोकनगर जिले में रातीखेड़ा समिति प्रबंधक निकुंज शर्मा, जो भाजपा के सह-संगठन महामंत्री (प्रदेश प्रभारी) हितानंद शर्मा के बड़े भाई होकर राशन माफिया के रूप में काबिज हैं, उन्होंने गरीबों के लिये आया 13 लाख 45 हजार 860 रूपयों का राशन डकार लिया। चार माह से वहां हितग्राहियों को राशन ही नहीं बंटा, जबकि पीओएस मशीन में पूरे राशन की एंट्री कर दी गई!
उल्लेखनीय है इनकी पत्नी श्रीमती साधना शर्मा भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी की सदस्य हैं। कलेक्टर अशोकनगर को प्राप्त शिकायत में की गई जांच के उपरांत पाया गया कि गेहूं 336 क्विंटल 66 किलो (10 लाख 9 हजार 980 रूपये), चावल 83 क्विंटल 97 किलो (3 लाख 55 हजार 880 रूपये) का वितरण न करते हुए संबंधित प्रबंधक व विक्रेता ने उक्त मात्रा को पीओएस मशीन में फर्जी प्रविष्टि कर 13 लाख 45 हजार 860 रूपये की कालाबाजारी की।
यह प्रमाण सामने आने के बाद कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी शेषराव गुजरे ने कोतवाली थाना पहुंचकर कलेक्टर के निर्देश पर मामला दर्ज कराया गया, जिसका अपराध क्रमांक 873/2022, दिनांक 12 दिसम्बर 2021 हैं, जिसका खात्मा 2/22, दिनांक 13 जनवरी 2022 को कर दिया गया है। मामला आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत जो एक गंभीर अपराध है, दर्ज किया गया था।
मुख्यमंत्री जी जहां एक ओर मुनाफाखोरों के लिए सख्त कार्यवाही और जेल भेजे जाने का अधिकारियों को निर्देश देते हैं, उन्हीं के निर्देश पर कोतवाली पुलिस ने इस गंभीर मुद्दे का न केवल हाल ही में खात्मा कर दिया है, बल्कि एफआईआर दर्ज करने वाले टीआई विवेक शर्मा को तत्काल प्रभाव से स्थानांतरित भी कर दिया।
इसी तरह कुछ दिनों पूर्व इंदौर में लाखों रूपयों की कालाबाजारी करने वाले अपराधियों की धरपकड़ की गई। एक आरोपी को रासुका में निरूद्ध किया जाकर उसके मकान और कार्यालय के बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया, वहीं दूसरे आरोपी प्रदीप दाईगुड़े जो आरएसएस का सक्रिय कार्यकर्ता है उसके खिलाफ मात्र दिखावटी कार्यवाही की गई?
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इसी तरह उज्जैन में संघ परिवार से जुड़े केलकर नामक व्यक्ति के व्यवसायिक संस्थान में पांच क्विंटल नकली घी पकड़ा गया, जिसके विरूद्ध रासुका के तहत कार्यवाही की गई, किंतु शिवराज सरकार ने काबिज होते ही इस मिलावटखोर अपराधी को छुड़वा दिया। इस तरह के कई उदाहरण यह साबित कर रहे हैं कि यहां दो कानून एक आम व्यक्ति के लिए और दूसरा अपनी विचारधारा से संबद्ध लोगों को राहत पहुंचाने के लिए संचालित किये जा रहे हैं।
मिश्रा ने कहा कि यह सिलसिला यहीं समाप्त नहीं हो रहा है। आईपीसी, सीआरपीसी और रासुका में निरूद्ध किये जाने वाले कानूनों की भी दोहरी व्याख्या की जा रही है। एक कानून जिसे राजनैतिक आधार पर शिवराज सरकार क्रियान्वित कर रही है, वहीं दूसरा कानून ‘‘अघोषित मुख्यमंत्री’’ सिंधिया सरकार द्वारा ग्वालियर-चंबल संभाग में राजनैतिक बदले की भावना से संचालित किया जा रहा है। सिंधिया के निर्देश पर ग्वालियर कलेक्टर विपक्ष, उसके मातहत संगठनों के विरुद्ध बदले की भावना से कार्यवाहियां कर उनका मनोबल तोड़ रहे हैं।
हालिया घटना में स्थानीय सब्जी मंड़ी स्थानांतरित करने के विरोध में कांग्रेस पार्टी द्वारा जारी जन आंदोलन को ध्वस्त करने की न केवल कोशिश की जा रही है, बल्कि विरोध स्वरूप पुतला जलाने वाले एनएसयूआई कार्यकर्ताओं पर रासुका व धारा-307 के तहत मुकदमें दर्ज किये गये।
ऊर्जा मंत्री के खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी रहे श्री सुनील शर्मा के विधिवत जारी व्यवसाय के खिलाफ भी लाखों रूपयों की पैनाल्टी राजनैतिक आधार पर लगा दी गई है। कलेक्टर श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने अपना नाम बदलकर कौशलेन्द्ररादित्य सिंधिया रख लिया है, वे आईएएस जैसे सम्मानित पद से इतर भाजपा कार्यकर्ता बन बैठे हैं। इसी तरह इंदौर, जबलपुर, भोपाल, खुरई आदि स्थानों पर भी भाजपाई अपराधियों को संरक्षित कर विपक्ष को निशाना बनाया जा रहा है। जो लोकतंत्र के भविष्य के लिए एक बड़ा घातक संकेत है!
सैकड़ों गायों की मौत पर भाजपा से जुड़ी आरोपित महिला को बचा रही है सरकार रासुका, अवैध निर्माण ध्वस्त व गौहत्या का मामला दर्ज क्यों नहीं ?
मिश्रा ने कहा कि बीते 30 जनवरी को राजधानी भोपाल से सटे बैरसिया के ग्राम बसई में जिसे भाजपा नेत्री निर्मला शांडिल्य द्वारा संचालित गौसेवा भारती गौशाला में पाये गये सैकड़ों गायों के कब्रिस्तान, पाये गये नरकंकालों, चार एकड़ जमीन पर किये गये अवैध कब्जे से संबद्ध मामले में भी राज्य सरकार के खिलाफ दोहरे चरित्र और दो कानून अपनाने का गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा और सरकार आरोपित महिला को बचा रही है। यदि भाजपा सरकार गोमाता के प्रति वास्तव में ईमानदार है तो आरोपित महिला के खिलाफ रासुका के तहत कार्यवाही क्यों नहीं की गई? उसके अवैध निर्माण को ध्वस्त क्यों नहीं किया गया, उसके विरूद्ध गौहत्या का मामला दर्ज क्यों नहीं किया गया और वह आज तक गिरफ्तारी से क्यों,कैसे बची हुई है?
श्री मिश्रा ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि आज घटना को पूरा सप्ताह बीत चुका है, किंतु राजधानी भोपाल में धर्म की कथित ठेकेदार सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर व विधायक रामेश्वर शर्मा कौन सी जलसमाधि लिये हुये हैं, उनका हिंदुत्व, धर्म व गौमाता के प्रति कथित समर्पण कहां लुप्त हो गया है।
श्री मिश्रा ने यह भी गंभीर आरोप लगाया है कि गायों की मौत ठंड ने नहीं हुई। यदि मौत का कारण ठंड होता तो पिपरिया, पंचमढ़ी और रायसेन जहां पारा जीरो डिग्री तक पहुंच चुका था, वहां गायों की मौत क्यों नहीं हुई। दरअसल, यहां गायों के चमड़े और उनकी हड्डियां बैचने का अवैध व्यवसाय संचालित होता है। गायों को न ही चारा और न ही पानी दिया जाता है, बल्कि घटना स्थल पर पाये गये केमिकल व चूने के पानी के बरामद ड्रमों के माध्यम से जीवित गायों को मौत के हवाले किया जाता है, जो सीधे तौर पर गौहत्या से जुड़ा गंभीर किस्म का आपराधिक मामला है।
कांग्रेस की मांग है कि सरकार यह सार्वजनिक करे कि प्रदेश में पिछले 17 साल के भाजपा शासितकाल में गौसेवा भारती द्वारा कितनी गोशालाएं संचालित की जा रही हैं, उन्हें कितना अनुदान दिया गया, इन गोशालाओं में अब तक कितने गोवंश ने दम तोड़ा, इन गोशालाओं में चिकित्सकीय सुविधाएं कितनी उपलब्ध करायी गईं और इन गोशालाओं में आम व्यक्ति की आवाजाही प्रतिबंधित क्यों रहती है?
मिश्रा ने आंकड़ों सहित जानकारी देते हुए यह भी बताया कि वर्ष 2019-20 में संचालित 627 गोशालाओं के लिए 59 करोड़ 78 लाख रूपये दिये गये। मनरेगा के तहत निर्माणाधीन 974 गोशालाओं के लिये में 11 करोड़ 59 लाख रूपये दिये गये। पिछले बजट में पशुपालन विभाग का बजट 132 करोड़ रूपये था जो 2020-21 में सिर्फ 11 करोड़ कर दिया गया। माननीय कमलनाथ जी की सरकार ने प्रति गाय सरकारी खुराक 20 रूपये की थी, भाजपा सरकार ने वह घटाकर एक रूपये 60 पैसे कर दी। ऐसा क्यों, किसलिए हुआ? क्या धर्म और गाय राज्य सरकार के लिए आर्थिक और राजनैतिक समृद्धि का ही माध्यम है?