युवाओं की उड़ान: भारत की प्रगति में महिला सशक्तिकरण का योगदान 

ravigoswami
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युवाओं में उत्साह, नवीनता और साहस होता है, जो उन्हें समाज में परिवर्तन लाने की शक्ति प्रदान करता है। वे नई तकनीकों और विचारों को अपनाने में तेज होते हैं और बदलाव के वाहक बनते हैं। चाहे वह विज्ञान और तकनीक का क्षेत्र हो, या फिर शिक्षा, स्वास्थ्य और उद्यमिता का, हर क्षेत्र में युवा अपनी प्रतिभा और क्षमता का प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके अलावा, युवा समाज के महत्वपूर्ण मुद्दों, जैसे कि बेरोजगारी, गरीबी, लैंगिक समानता और पर्यावरण संरक्षण के विषय में भी जागरूक होते हैं और इन समस्याओं के समाधान में सक्रिय भूमिका निभाते हैं।

युवाओं का सही मार्गदर्शन और शिक्षा से सशक्तिकरण आवश्यक है, ताकि वे देश की प्रगति में अधिकतम योगदान दे सकें। उनकी क्षमता और ऊर्जा का सही उपयोग करके, भारत न केवल आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत हो सकता है, बल्कि एक वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में उभर भी सकता है।

विक्रम सिंह सोलंकी, निदेशक- ऑपरेशन, एजुकेट गर्ल्स के अनुसार, भारत के पास न केवल आर्थिक और सामाजिक रूप से समृद्ध बनने का, बल्कि खुद को एक अग्रणी वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करने का भी अवसर है। भारत को अपने युवाओं, विशेष रूप से लड़कियों को शिक्षित करने के लिए अभिनव प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए हम प्रगति कार्यक्रम के माध्यम से 14 से 29 आयु वर्ग की किशोरियों और महिलाओं को दसवीं कक्षा की योग्यता व प्रमाण-पत्र प्राप्त करने में सहायता करते हैं। शिक्षा के माध्यम से हम युवतियों को शिक्षित करने के साथ उनके कौशल को विकसित कर सकते हैं और उन्हें देश के विकास में सक्षम भागीदार बना सकते हैं।

वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में उभरने के लिए भारत को अपने युवाओं के खास कर लड़कियों के शिक्षा क्षेत्र में रचनात्मक काम करना जरूरी है। एजुकेट गर्ल्स के माध्यम से हम भारत के ग्रामीण और शैक्षिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में लड़कियों की शिक्षा के लिए समुदायों को 17 वर्षों से संगठित करने का कार्य कर रहे हैं। और यही हमारा अनुभव रहा है कि शिक्षा समाज की नींव होती है। विशेष रूप से, लड़कियाँ शिक्षित होती हैं, तो वे न केवल अपने परिवारों को लाभान्वित करती हैं, बल्कि सामाजिक सशक्तीकरण में भी योगदान देती हैं। लड़कियों की शिक्षा व्यक्तिगत विकास के साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक और राष्ट्रीय प्रगति के लिए भी महत्वपूर्ण है।

इसके अलावा, लड़कियों की शिक्षा से लैंगिक समानता को भी बढ़ावा मिलता है। यह केवल लड़कियों के शिक्षा के अधिकारों का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह समग्र समाज के विकास का मार्ग भी प्रशस्त करता है। शिक्षित लड़कियों के बिना भारत का समग्र और सतत विकास संभव नहीं हो सकता। मद्रास विश्वविद्यालय के 165वें दीक्षांत समारोह में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा था, “लड़कियों की शिक्षा में निवेश करके हम अपने देश की प्रगति में निवेश कर रहे हैं। शिक्षित महिलाएँ अर्थव्यवस्था में अधिक योगदान दे सकती हैं, विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व कर सकती हैं और समाज पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।”

बार्कलेज के एक अध्ययन के अनुसार, भारत को 8% की विकास दर हासिल करने के लिए 2030 तक नौकरियों में 50 प्रतिशत महिलाओं की आवश्यकता है। 30% से अधिक 15-29 वर्ष की आयु के युवा किसी भी प्रकार की शिक्षा, रोजगार या प्रशिक्षण में भाग नहीं ले रहें है, जिनमें लगभग 9 करोड़ किशोरियाँ शामिल हैं। 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के सपने को साकार करने के लिए, यह जरूरी है कि हम कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाएँ। यह भागीदारी बढ़ाने के लिए हम प्रगति कार्यक्रम के माध्यम से 14 से 29 आयुवर्ग की किशोरियों और महिलाओं को दसवीं कक्षा की योग्यता व प्रमाण-पत्र प्राप्त करने में सहायता करते हैं। प्रगति से दसवीं कक्षा की परीक्षा में सफलता प्राप्त करना युवा महिलाओं के लिए अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करने और भविष्य में रोजगार की संभावनाओं का मार्ग प्रशस्त करने का एक अनूठा अवसर प्रस्तुत करता है।

अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस के मौके पर हमें इस बात को अधोरेखित करना चाहिए कि शिक्षा के माध्यम से हम युवतियों को शिक्षित करने के साथ उनके कौशल को बढ़ाने के साथ ही उन्हें देश के विकास में सक्षम भागीदार बना सकते हैं। भारत की प्रगति की राह महिलाओं और युवाओं के सशक्तिकरण से ही तय की जा सकती है।