आपने एक कहावत तो सुनी होगी जोड़ी भगवान बनाता है , महूरत निकलते पंडित हैं , पत्रिका मिलाकर शुभ दिन दोनो परिवारों की रज़ामंदी से विवाह सम्पन्न होता है , माता पिता के सपने होते है इस पवित्र संस्कार को लेकर , सारे नाते रुश्तेदार दोस्त , परिचित को बुलाया जाता है धूम धाम से शादी करने की परम्परा अनादी काल से चली आ रही है , इस पवित्र रस्म पर कोरोना के साथ साथ कुछ अति ज्ञानी अधिकारियों की भी नज़र लग ग ई है , शादी की परमिशन नहीं देंगे ,और देने के बाद भी सिंघम के अवतार में आकार पंडित की और दूल्हे की पिटाई कर देंगे , अगर चार्टर प्लेन में शादी की तो भी मुक़दमा लगा देंगे , इन महानुभावों को नेताओ के साथ चलने वाली भीड़ नहीं दिखती , खुद भी उसी भीड़ में आँखो पर पट्टी बांध कर चलते है , इनको बंगाल नहीं दिखता इनको दिल्ली के बॉर्डर पर धरना दे रहे किसान नहीं दिखते , और इनको खुद की बुलाई मीटिंग भी नहीं दिखती , क्या इनको कोई स्पेशल दर्जा मिला है , खुद मास्क नहीं लगाते और सड़क पर किसी को भी चाहे वह महिला हो उसे चाँटा जड़ देते है , धार्मिक परम्परा के नाम पर लगी भीड़ नहीं दिखती बस इन्हें तो शादी की बारात दिखेगी चाहे बिचारे सभ्य लोग गिनती के ही क्यों न हो , पता नहीं कितनी शादियों को कैंसिल करवा दिया कितनी आगे बढ़ ग इ , न तो रेली बंद हुई न ही पंचायत चुनाव रुके , क्यों भ ई नेताओ के सौ खून माफ़ क्यों होते है , मै तो इस तरह के कोरोना के नाम पर शादी को लेकर होने वाले दोगले और ग़लत व्यवहार की निंदा करती हूँ और इस तरफ़ पूरे भारत का ध्यान आकर्षित करना चाहती हूँ , अपनी आवाज़ मेरी आवाज़ के साथ मिलाइए , किसी वकील को इस के विरुध कोर्ट में केस लगाना भी चाहिए , ज़रा सोचिए शादी में अगर भीड़ आएगी तभी सिर्फ़ कोरोना होगा , नेता की भीड़ क्या कोरोना प्रूफ़ है या अधिकारी अंधे है सारे के सारे या उनसे डरे और दबे है तभी डबल स्टैंडर्ड दिखा रहे है . मेरी बात को सोचिए और अपनी राय दीजिए . मै इस तरह के दोहरे मापदंडो का विरोध करती हूँ , हो सकता है आप भी इसका शिकार बन चुके हों , मै तो हर उस बात का विरोध करती हूँ जो मुझे ग़लत लगती है और ये तो सरासर ग़लत ही हो रहा है