केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान, राज्यमंत्री प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक विशेष योग प्रोटोकॉल लागू कर रहा है। परियोजना के लिए समापण भाषण देते समय डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “योग और ध्यान के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी” (सत्यम) के एक विशेष प्रकोष्ठ के तहत स्वीकृत परियोजना का शीर्षक है “प्राकृतिक रूप से प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने के लिए वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक सामुदायिक योग प्रोटोकॉल विकसित करना”।
इसका उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों में रोग प्रतिरोध क्षमता का निर्माण करना है, जो विशेष रूप से कोविड महामारी के चलते कमजोर हुई हैं। डॉ. जितेंद्र सिंह ने दुनिया भर में हर घर में योग की शुरुआत करने और हर साल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में एक सर्वसम्मत प्रस्ताव लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पूरा श्रेय देते हुए कहा, इस पहल की शुरुआत कई साल पहले होनी चाहिए थी क्योंकि योग भारत से सबसे पहले आरंभ हुआ था और पश्चिम देशों में भी इसका लाभ लिया जा रहा था। उन्होंने कहा कि योग को वैश्विक स्तर तक पहुंचाने में मोदी सरकार की अहम भूमिका रही है। योग को सही मायने में सम्मान और मानता मोदी सरकार के दौर में प्राप्त हुई है।
वरिष्ठ नागरिकों में योग के लिए एक अलग प्रोटोकॉल होने के विशेष महत्व की ओर इशारा करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, एक तरफ, भारत में जीवन अवधि बढ़ने के साथ वरिष्ठ नागरिकों की आबादी में वृद्धि देखी जा रही है। वहीं, दूसरी ओर, वरिष्ठ नागरिक जीवन के अंतिम वर्षों तक ऊर्जावान और उत्पादक बने रह रहे हैं। उन्होंने कहा इसलिए उनके शारीरिक और मानसिक सेहत को सुनिश्चित करने जरूरी है ताकि वे राष्ट्र निर्माण में वे रचनात्मक भूमिका निभा सकें। योग फिटनेस के लिए एक प्राकृतिक, गैर-औषधीय और गैर-दवा उपचार है। कोविड महामारी ने दुनिया भर में प्रतिरक्षा बढ़ाने के तरीकों के प्रति रुझान फिर से बढ़ाने का काम किया है।
मंत्री ने कहा, यह भी सच है कि कोविड से पहले भी हम जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग आदि का मुकाबला करते रहे हैं। योग ऐसे जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के रोकथाम और नियंत्रण के लिए सबसे प्रभावी विकल्पों में से एक है, खासकर वरिष्ठ नागरिक आयु वर्ग में। डॉ.जितेन्द्र सिंह ने कहा कि सत्यम कार्यक्रम के तहत विशेष प्रकोष्ठ तीन व्यापक विषयगत क्षेत्रों के तहत एड-ऑन थेरेपी के रूप में योग और ध्यान के प्रभाव के माध्यम से कोविड-19 और संबंधित वायरस का मुकाबला करना चाहता है जिसमें प्रतिरक्षा, श्वसन प्रणाली और तनाव, चिंता और अवसाद शामिल हैं।
वर्ष 2020-21 में ही 64 परियोजनाओं के साथ संज्ञानात्मक विज्ञान अनुसंधान पहल (सीएसआरआई) के तहत योग और ध्यान (सत्यम) कार्यक्रम के विज्ञान और प्रौद्योगिकी में कुल 91 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि दुनिया भर के विभिन्न अनुभव और शोध अध्ययन इस तथ्य की ओर इशारा करते हैं कि कोविड के इलाज और रोकथाम के लिए, मानव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली और प्राकृतिक प्रतिरोध एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा, इसलिए, आयुर्वेदिक, होम्योपैथी, यूनानी, योग या प्राकृतिक चिकित्सा सभी धाराओं से तैयार की गई प्रतिरक्षा निर्माण तकनीकों ने तब से लोकप्रियता हासिल की है जब से दुनिया कोविड महामारी की चपेट में आई है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, कोविड ने इस विश्वास को भी दोहराया है कि चिकित्सा प्रबंधन की विभिन्न माध्यमों का स्वस्थ एकीकरण और तालमेल विभिन्न बीमारियों और विकारों के सफल प्रबंधन की कुंजी है, जो कि दवा की किसी एक धारा द्वारा इलाज के लिए पूरी तरह से संभव नहीं हो सकते हैं। उन्होंने कहा, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, फेफड़ों की बीमारी, कैंसर या मधुमेह जैसी पहले से मौजूद चिकित्सा स्थितियों वाले वृद्ध व्यक्तियों को स्वस्थ्य व्यक्ति की तुलना में कोविड महामारी से जल्दी से संक्रमित होते हैं। बुजुर्ग लोगों में रोग प्रतिरक्षा प्रणाली उतनी मजबूत नहीं होती है, इसलिए वे संक्रामक रोग की चपेट में आ जाते हैं। मंत्री ने कहा, उपलब्ध शोध साक्ष्य यह साबित करते हैं कि योग आसन, प्राणायाम और ध्यान के गंभीर बीमारियों से लड़ने में मदद करता है।