प्रदेश में भाजपा की चौथी सूची जारी हो गई है, लेकिन इसमें इंदौर के शहर और जिलाध्यक्ष के नाम शामिल नहीं हैं। वरिष्ठ पदाधिकारियों की तमाम कोशिशों के बावजूद, इंदौर के अध्यक्ष का नाम अभी तक तय नहीं हो सका है।
असल में, इंदौर के दोनों मंत्री, कैलाश विजयवर्गीय और तुलसी सिलावट, जिलाध्यक्ष पद पर अपने-अपने समर्थकों को देखना चाहते हैं। दोनों मंत्रियों ने इसे अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है और अपने समर्थकों को अध्यक्ष पद पर बैठाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। इस वजह से शनिवार शाम तक भी सूची जारी नहीं हो पाई।
मंत्री विजयवर्गीय अपने करीबी समर्थक चिंटू वर्मा को फिर से जिलाध्यक्ष बनवाना चाहते हैं। चिंटू वर्मा वर्तमान में जिलाध्यक्ष हैं और एक साल पहले ही इस पद पर नियुक्त हुए थे, क्योंकि पूर्व जिलाध्यक्ष राजेश सोनकर को सोनकच्छ से टिकट मिल गया था, और वे चुनाव जीतकर अध्यक्ष बने थे। वहीं, तुलसी सिलावट कलोता समाज के अंतरदयाल को अध्यक्ष बनवाना चाहते हैं, और इस प्रस्ताव पर विधायक उषा ठाकुर और मनोज पटेल भी सहमत हैं।
अंतरदयाल का नाम केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी प्रस्तावित किया है। हालांकि, शहर के मुकाबले वरिष्ठ पदाधिकारियों को ग्रामीण जिलाध्यक्ष के चयन में ज्यादा कठिनाई हो रही है। वहीं, इंदौर में वर्तमान जिलाध्यक्ष गौरव रणदिवे फिर से अध्यक्ष बनने के लिए भोपाल तक दबाव बना रहे हैं।
मंत्री विजयवर्गीय ने दीपक जैन टीनू का नाम प्रस्तावित किया है, जबकि उनकी दूसरी पसंद सुमित मिश्रा हैं। वहीं, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के समय से भाजपा से जुड़े मुकेश राजावत को नगर अध्यक्ष के पद पर देखने की इच्छा संगठन के कुछ नेताओं की है। हालांकि, प्रदेश में सबसे बड़ा विवाद इंदौर के दो पदों पर ही देखने को मिल रहा है।