इंदौर में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, और रोजगार व व्यापार के अवसरों के कारण देश के विभिन्न हिस्सों से लोग यहां आ रहे हैं। हालांकि, इसके साथ ही शहर में हरियाली लगातार घटती जा रही है, और उद्यानों की संख्या पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है। शहर में पहले से बने शानदार उद्यान भी अब उपेक्षित हो गए हैं। नगर निगम ने नेहरू पार्क, मेघदूत गार्डन और रीजनल पार्क पर करोड़ों रुपये खर्च किए हैं, लेकिन इसके बावजूद इनमें कोई खास बदलाव और रौनक देखने को नहीं मिल रही है।
नेहरू पार्क में पुराने वृक्षों की कटाई, लगा रहे नए फूल
शहर के मध्य स्थित नेहरू पार्क, जो कभी सैकड़ों लोगों के आराम और घूमने का प्रमुख स्थल था, अब सुनसान सा दिखाई देता है। पहले यहां दिनभर भीड़ रहती थी, लेकिन अब इक्का-दुक्का लोग ही नजर आते हैं। पूरे पार्क को सीमेंट से ढककर हरियाली को समाप्त कर दिया गया है, और बची हुई जगहों पर टूटे हुए लोहे के सामान और कबाड़ का ढेर लगा हुआ है। यहां स्थित प्राचीन तरण पुष्कर भी इन दिनों बंद है और इसका पुनर्निर्माण चल रहा है। पार्क में लगे विशाल पेड़ों को काटकर बेतरतीब तरीके से हरियाली समाप्त की गई है, और उनकी जगह टाइल्स और पेवर ब्लॉक लगाए गए हैं। इन बदलावों के कारण, जो कभी ठंडक देने वाला स्थल था, अब भीषण गर्मी में तपने लगता है। अब इन पेड़ों को हटाकर यहां नए फूलों को लगाने के लिए बजट पास किया गया है।
रीजनल पार्क की हालत
इंदौर के बाहरी क्षेत्र में स्थित रीजनल पार्क, जो कभी सैकड़ों लोगों के घूमने का प्रमुख स्थल था, आज अपनी खराब स्थिति पर आंसू बहा रहा है। यहां नगर निगम ने करोड़ों रुपये खर्च किए, लेकिन इसके हालात में कोई सुधार नहीं आ सका। एक समय नगर निगम ने इसे प्राइवेट कंपनियों को सौंपने की योजना बनाई थी, लेकिन कई संस्थाओं ने इसका विरोध किया, जिसके बाद यह मामला अटक गया। रीजनल पार्क, जो अपने फाउंटेन और सुंदर फूलों के लिए प्रसिद्ध था, अब अपनी उपेक्षा झेल रहा है। यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या अब आधी भी नहीं रही, और इसके आसपास का स्थानीय बाजार भी खत्म होता जा रहा है। बच्चों के खेलने के झूले और फाउंटेन भी अब खराब पड़े हैं।
मेघदुत गार्डन का हाल
विजय नगर क्षेत्र में स्थित मेघदूत गार्डन, जिसे मेघदूत चौपाटी के नाम से जाना जाता था, अब अपनी रौनक खो चुका है। हाल ही में नगर निगम ने चौपाटी को हटा दिया, जिसके बाद गार्डन की चमक पूरी तरह से खत्म हो गई। कई सालों से उपेक्षा का शिकार यह गार्डन अभी भी बंद फाउंटेन, खराब वाटर कूलर और टूटे हुए झूलों से अपनी खस्ता हालत को दिखा रहा है। पिछले छह महीनों में यहां कुछ काम जरूर हुए हैं, लेकिन फिर भी यह अपनी पुरानी रौनक को हासिल नहीं कर पाया है। यह गार्डन मार्निंग वाकर ग्रुप्स के लिए एक प्रमुख स्थल है, और यहां योग, धर्म और समाज से जुड़े विभिन्न संगठन नियमित रूप से कार्यक्रम आयोजित करते हैं।