SCO बैठक में भारत का कड़ा संदेश, आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस, पलगाम हमले का हवाला देकर जयशंकर ने दिखाई दृढ़ता

SCO देशों को यह चेतावनी देते हुए जयशंकर ने दोहराया कि आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक और निर्णायक रवैया ही इस संगठन की वैधता और उद्देश्य की कसौटी होगा

Dilip Mishra
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शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत ने एक बार फिर आतंकवाद के खिलाफ अपने मजबूत रुख को दोहराया। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने जम्मू-कश्मीर के पलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकवादी हमले का हवाला देते हुए SCO मंच से कहा कि यह हमला केवल निर्दोष लोगों पर नहीं, बल्कि भारत की पर्यटन अर्थव्यवस्था और सांप्रदायिक सौहार्द पर एक सुनियोजित हमला था। जयशंकर ने SCO देशों से अपील की कि वे अपने संस्थापक उद्देश्यों पर अडिग रहें और आतंकवाद, उग्रवाद तथा अलगाववाद के खिलाफ संयुक्त प्रयास जारी रखें। उन्होंने कहा कि SCO की स्थापना का मकसद इन्हीं तीन बुराइयों से लड़ना था और आज भी यही चुनौतियां सबसे गंभीर हैं।

आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता की जरूरत

जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद आपस में जुड़े हुए खतरे हैं और ये अक्सर एक साथ उभरते हैं। पलगाम की घटना इसका जीवंत उदाहरण है, जहां आतंकियों ने धार्मिक विभाजन पैदा करने और पर्यटकों को निशाना बनाकर राज्य की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि ऐसे हमलों से निपटने के लिए केवल बयानबाजी नहीं, ठोस और सामूहिक कार्रवाई की जरूरत है। SCO जैसे बहुपक्षीय मंचों को इस पर स्पष्ट और निर्णायक रुख अपनाना चाहिए।

UNSC का समर्थन और भारत की सक्रियता

जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के उस बयान का उल्लेख किया, जिसमें पलगाम हमले की कड़ी निंदा की गई थी। UNSC ने इस आतंकवादी हमले को “घृणित कृत्य” बताया और हमलावरों, उनके वित्तपोषकों, आयोजकों और समर्थकों को न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर बल दिया। विदेश मंत्री ने कहा, “भारत ने हमले के बाद तुरंत कदम उठाए हैं और आगे भी इस दिशा में सख्त कार्रवाई जारी रहेगी। आतंकवाद के खिलाफ हमारी नीति स्पष्ट है ।इसमें कोई समझौता नहीं हो सकता।”

वैश्विक अस्थिरता पर भारत की चिंता

भारत ने SCO मंच का उपयोग कर अंतर्राष्ट्रीय भू-राजनीतिक हालात पर भी टिप्पणी की। जयशंकर ने कहा कि दुनिया इस समय भारी अस्थिरता, सैन्य संघर्ष, आर्थिक संकट और कूटनीतिक तनाव के दौर से गुजर रही है। उन्होंने ज़ोर दिया कि अब वक्त आ गया है जब दुनिया को एक स्थिर, न्यायसंगत और संतुलित वैश्विक व्यवस्था की ओर कदम बढ़ाने चाहिए, जिसमें सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाए। जयशंकर ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों से पार पाने के लिए सभी देशों को मिलकर साझा हितों की रक्षा करनी होगी। सिर्फ भाषणों से नहीं, बल्कि सजग सहयोग और व्यवहारिक साझेदारी से समाधान निकलेंगे।

भारत की विकासशील पहलों की जानकारी

इस मौके पर विदेश मंत्री ने भारत की ओर से SCO में लाए गए नवाचारों और पहलों की जानकारी भी दी। उन्होंने बताया कि भारत ने पारंपरिक चिकित्सा, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, स्टार्टअप्स और नवाचार के क्षेत्रों में कई अहम पहल की हैं। जयशंकर ने इन पहलों को सिर्फ आर्थिक विकास के साधन नहीं, बल्कि सामाजिक समावेशन और वैश्विक साझेदारी के लिए जरूरी बताया। उन्होंने कहा, “ऐसे सहयोग तभी सफल होंगे जब सदस्य देश आपसी सम्मान, पारदर्शिता और कानून के शासन को प्राथमिकता देंगे।”

SCO के भविष्य को लेकर भारत का स्पष्ट दृष्टिकोण

भारत ने इस महत्वपूर्ण बैठक के माध्यम से एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ कोई नरमी नहीं बरती जाएगी। SCO देशों को यह चेतावनी देते हुए जयशंकर ने दोहराया कि आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक और निर्णायक रवैया ही इस संगठन की वैधता और उद्देश्य की कसौटी होगा। भारत ने यह भी संकेत दिया कि वह वैश्विक सहयोग, तकनीकी नवाचार और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन इसकी बुनियाद केवल आपसी विश्वास, संप्रभुता के सम्मान और कट्टरपंथ के खिलाफ साझा संघर्ष पर ही टिकी रहनी चाहिए। यह संदेश केवल SCO देशों के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए था। भारत आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए तैयार है, और वह अपने रुख से एक इंच भी पीछे नहीं हटेगा।