देश नहीं हम बन रहें हैं !

Suruchi
Published on:

अन्ना दुराई

इन दिनों देश में वैमन्यसता और नफ़रत का वातावरण तैयार करने के भरसक प्रयास चल रहे हैं। सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने वाले संदेशों की मानों बाढ़ सी आ गई है। हमारे इर्द गिर्द एक काल्पनिक ताना बाना बुन दिया गया है जिसमें सभी उलझते चले जा रहे हैं। इनका असल ज़िंदगी से कुछ लेना देना नहीं लेकिन भय का भयंकर माहौल बना दिया गया है। ऐसा लगता है कि उठते बैठते किसी को कुछ सुझाई नहीं देता। सभी एक अजीब दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। राजनीति धर्म है धंधा नहीं जैसे सूत्र वाक्य नए परिवेश में सामने हैं।

अब धर्म ही राजनीति है ये वाक्य चरितार्थ हो चला है। धर्म ही राजनीति हो तो भी इसके अलग मायने हैं लेकिन आज कल सरकारें अपने मूल कार्यों से हटकर धर्म की ठेकेदार बनकर उभरी है, ऐसा प्रतीत होता है। सरकारी तंत्र का उपयोग जो दुरुपयोग ही कहलाएगा, आज कल आरती और अजान के फेर में पड़ा हुआ है। प्रार्थना हो या दूआ, सभी एक है लेकिन इसी को लेकर आपस में लड़ाया जा रहा है। सरकारें बनायी जाती है जनता के रोटी, कपड़ा और मकान के लिए। जनता को शिक्षित एवं सभ्य समाज के निर्माण के लिए। बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए। अपनी प्रभावशाली नीतियों से देश के विकास के लिए।

Read More : Jaya Bachchan की घटिया हरकत, Rekha को घर बुलाकर किया…

नौकरियों के माध्यम से रोज़गार पैदा करने के लिए। महँगाई और ग़ैर बराबरी पर नियंत्रण के लिए। देश की आर्थिक मज़बूती के लिए। जनता को मूलभूत सुविधाएँ देने के लिए लेकिन आज ठीक इसके विपरीत परिणाम दिखाई देते हैं। सभी अपने अपने धर्म को बचाने के नाम पर अधर्म की राह पर चल रहे हैं। हिन्दू मुस्लिम के सिवाय चर्चा का कोई विषय ही नहीं रह गया है। नफ़रत भरी बातों से ही दिन का गुज़ारा होता है। वाक़ई आज भी ऐसे कई लोग हैं जिन्हें ये लगता है कि वे देश बना रहे हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि उन्हें ये पता नहीं कि वे केवल और केवल मूर्ख बन रहे हैं। देश नहीं बन रहा है बल्कि हम बन रहे हैं।

राजनीतिक दलों की मोटी तनख़्वाह पाकर वातावरण को बिगाड़ने के लिए ज़मीन तैयार करने वाले तो दोषी हैं ही लेकिन उनसे कहीं अधिक बढ़कर वे लोग ज्यादा गुनाहगार हैं जो इस तरह के झूठे और भ्रामक प्रचार को आगे बढ़ाने में कैरियर का कार्य करते हैं। बिना तनख़्वाह के फ़ोकटगिरी करने वाले इस तरह के लोग एक अलग क़िस्म के ही गुरुर में जीते हैं। देश आगे बढ़ रहा है ये भ्रम तो वे पाले ही रहते हैं। दूसरों को भी भ्रम में डालने का प्रयास पूरी ताक़त से करते हैं। कोई प्रति प्रश्न कर ले तो ये लोग बिना किसी तनख़्वाह के ही ढाल बनकर खड़े हो जाते हैं।

Read More : Bharti Singh के घर आई एक और खुशखबरी, कहा- इसके लिए दोनों है ज़िम्मेदार

बिना किसी सही जानकारी के ये जवाब भी देने लगते हैं। देश के पतन में जाने का एहसास इन्हें हो या ना हो लेकिन इनका जतन देखते ही बनता है। जिन बातों के जवाब सरकारों को देना चाहिए उनका जवाब भी ये पूरी ताक़त से देते हैं। एक दूसरे को भड़काने के सिवाय इनका कोई सार्थक उद्देश्य नहीं रहता। वोट कबाड़ने के लिए देश बिगाड़ने का खेल बदस्तूर जारी है, इस ओर हमें व्यापक चिंतन करना होगा ताकि प्रेम और आपसी सौहार्द की बुनियाद हम रख सकें।

नफ़रत के ख़ज़ाने में तो
कुछ भी नहीं बाक़ी,
थोड़ा सा गुज़ारे के लिए
प्यार बचाएँ….