जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (जेकेएनसी) के श्रीनगर से सांसद आगा रूहुल्लाह मेहदी ने 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों के पलायन को रोकने में पार्टी की विफलता के लिए उनसे माफ़ी मांगी है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाले रूहुल्लाह ने कहा कि पूर्ववर्ती राज्य में अल्पसंख्यक समुदाय के साथ जो कुछ भी हुआ, उससे वह शर्मिंदा हैं और पंडितों के बिना कश्मीर अधूरा है।
‘हम शर्मिंदा हैं और मैं इस बात पर जोर देता हूं…’
मेहदी ने द वायर को दिए एक साक्षात्कार में कहा , “हम शर्मिंदा हैं और मैं इस बात पर जोर देता हूं कि एक समुदाय के तौर पर हम कश्मीरी पंडितों की मौजूदगी के बिना नैतिक रूप से अधूरे महसूस करते हैं । यह उनका भी घर है और हमें उम्मीद है कि वे वापस आ सकेंगे।”
‘यह हमारी गलती नहीं थी…’
मेहदी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में श्रीनगर से पीडीपी के वहीद पारा को हराया। मेहदी ने साक्षात्कार में कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान, हालांकि उनके निर्वाचन क्षेत्र में ज्यादा कश्मीरी पंडित नहीं थे , फिर भी उन्होंने अक्सर मेरे मंच का इस्तेमाल उस अतीत के लिए माफी मांगने के लिए किया। मेहदी ने कहा, “यह हमारी गलती नहीं थी और यह हमारे नियंत्रण में नहीं था… हम जानते हैं कि विदेशी ताकतें इसमें शामिल थीं और राज्य भी इसमें शामिल था, लेकिन फिर भी मैं हाथ जोड़कर जो कुछ हुआ उसके लिए माफी मांगता हूं।”
‘लोगों की दुर्दशा को चुनावी लाभ के लिए एक कथा’
मेहदी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर पंडितों के मुद्दे का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया।उन्होंने साक्षात्कार में कहा, “मोदी सरकार ने कश्मीरी पंडितों के विचार को चुनाव अभियान के मुद्दे के रूप में बेचा है। उन्होंने इन लोगों की दुर्दशा को चुनावी लाभ के लिए एक कथा, एक बयानबाजी में बदल दिया है। भाजपा चाहती है कि वे कश्मीर वापस आ जाएं, लेकिन वे चाहते हैं कि वे अपने समाज से कटे हुए, ऐसे माहौल में, जहां हिंदू और मुसलमान दुश्मन बन जाते हैं, झुग्गियों में रहें।”
संसद सदस्य (एमपी) के रूप में चुने जाने से पहले, लोकप्रिय शिया नेता मेहदी ने 2002 से 2018 तक तीन कार्यकालों के लिए जम्मू और कश्मीर विधानसभा के सदस्य के रूप में कार्य किया है।