नितिनमोहन शर्मा। भगवा ब्रिगेड के जख्म पर भगवा दुप्पटा धारण करने वाले भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने रविवार को मरहम रखा। पठान को फ्लॉप करवाने निकले भगवा वाहिनी के नेता कानून की धाराओं में बांधकर जेल की सलाखों के पीछे हैं। फ़िल्म उन्ही लोगो ने हिट करवा दी, जिनके दम पर विरोध की जाजम बिछाई गई थी। पीएम और केंद्रीय मंत्री में भी सख्त बयानबाज़ी कर दी। जमानत नही हो रही और न समर्थन में कोई आगे आ रहा था। इन सबसे आहत भगवा वाहिनी के लिए “पुराने संघी” विजयवर्गीय सामने आए और चेतावनी दी कि जो लोग इन्दौर जलाने की बात कर रहे हैं, हम उस विचारधारा को ही जला देंगे। उधर गुस्साई भगवा वाहिनी सोमवार से फिर जिला मुख्यालयों पर ज्ञापनों के जरिये मैदान पकड़ने वाली थी। बताया जा रहा है ये आंदोलन अब स्थगित कर दिया गया है।
“कैलाश जी दिलेर है-मालवा के शेर हैं”…ये नारा रविवार को फिर बुलंद हुआ। कारण बना वो विवादित और आक्रामक बयान जिसमे एक वर्ग विशेष के युवक द्वारा कहा गया था कि इन्दौर को आग लगा देंगे। इस बयान के सामने आने के बाद भाजपा सहित हिन्दू संगठनों में सन्नाटा खींचा हुआ था। 72 घण्टे बीत जाने के बाद न तो सत्तारूढ़ भाजपा कुछ बयान जारी कर पाई न किसी नेता ने इस पर हिम्मत दिखाई। 72 घण्टे का ये सन्नाटा भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने तोड़ा। उन्होंने कहा कि बहुत परिश्रम और खून पसीने से इन्दौर को सबने मिलकर एक नम्बर बनाया है। कोई आग लगाकर तो दिखाए। हम आग लगाने वाली विचारधारा को ही आग लगा देंगे। विजयवर्गीय यही नही रुके। उन्होनें इस प्रकार के बयान और कोर्ट रूम में प्रतिबंधित पीएफआई संगठन के लिए चोंरी से हो रही वीडियोग्राफी को गम्भीर बताते हुए इसे मध्यप्रदेश की पुलिस के लिए अलार्म की घड़ी करार दिया।
उधर हिन्दू संगठन भी इस पुरे मामले में स्वयम को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। संग़ठन दो महीने से भी ज्यादा समय फ़िल्म पठान के विरोध में मैदान में था। उसके आंदोलन को सरकार से भी बल मिल रहा था। प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा स्वयम पठान को लेकर मुखर थे। इससे हिन्दू सँगठनो के हौसले बुलंद थे। संगठनों को बहुसंख्यक समाज पर भी भरोसा था कि वे उनकी अपील सुनेंगे ओर सिनेमाघरों की तरफ कदम नही बढ़ाएंगे। भगवा ब्रिगेड को उम्मीद थी कि फ़िल्म को फ्लॉप करवाकर ही दम लेंगे।
लेकिन हुआ ठीक उलट। फिल्मों के विरोध और “बॉयकाट के बढ़ते चलन” पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयम ही मुखर हो गए। उन्होंने मुखरता का मंच भी बड़ा ढूंढा। पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उन्होने फ़िल्म का विरोध करने वालो को न केवल आड़े हाथों लिया बल्कि उन नेताओं को भी आईना दिखाया जो फिल्मों के विरोध में अपने स्वर भी शामिल कर रहे थे। पंतप्रधान ने दो टूक कह दिया कि ऐसा करने वाले नेता समझते है कि हम बड़े नेता बन रहे हैं जबकि वे ऐसा कर अपना कद कम रहे हैं। पीएम के बयान ने समूची भाजपा में सन्नाटा खींच दिया। रही सही कसर विश्व हिन्दू परिषद ने फ़िल्म रिलीज वाले दिन वीडियो जारी कर पूरी कर दी।
विहिप का वीडियो बता रहा था कि सेंसर बोर्ड ने हमारी मांग पर फ़िल्म में बहुत सुधार हुआ हैं। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। भगवा वाहिनी लट्ठ डंडे लेकर मैदान में उतर चुकी थी। नतीजतन सुबह के शो अधिकांश सिनेमाघरों में रद्द करना पड़ें। इस बीच कस्तूर टॉकीज वाली घटना हो गई जिसे आधार बनाकर शहर की अल्पसंख्यक इलाके उद्वेलित हो गए। नतीजे में हिन्दू संगठनों के नेताओ और कार्यकर्ताओं को न केवल कानूनी धाराओं में बांध दिया गया बल्कि जेल भी भिजवा दिया। अब तक जमानत नही हुईं।
Also Read : IMD Alert: अगले 24 घंटों में इन 10 जिलों में होगी जोरदार बारिश, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट
इस पूरे प्रकरण ने स्थानीय प्रशासन के भी हाथ पांव फुला दीये थे। गुरुवार को पूरा दिन और आधी रास्त तक पुलिस प्रशासन अल्पसंख्यक इलाको में पसीना बहाता रहा। इसका सुखद नतीजा शुक्रवार को सामने आया भी और ” अकलियत ” ने समझदारी का परिचय देते हुए मामले का एक तरह से पटाक्षेप कर दिया। लेकिन इस बीच वो वीडियो सामने आ गया जिसमें आपके हमारे इन्दौर को जलाने की धमकी थी। हालांकि पुलिस प्रशासन ने दूसरी तरफ से भी गिरफ्तारियाँ की और प्रकरण दर्ज किए। लेकिन विवादित वीडियो में दिख रहा शख्स पुलिस गिरफ्त से दूर ही रहा। जिसके कारण विहिप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जिला प्रशासन को सड़क पर उतरने की चेतावनी दी गई थी।
इससे भगवा ब्रिगेड स्वयम को आहत महसूस कर रही थी। ब्रिगेड से जुड़े लोगों की माने तो पीएम और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का बयान गेर जरूरी हैं। भगवा वाहिनी तो इसे सत्ता के लिए विचारधारा को किनारे करने से जोड़ रही हैं। वाहिनी को बड़ा सदमा इस बात पर लगा कि जिसके “मान सम्मान की लड़ाई” वो सड़क पर लड़ रहा था, वो सपरिवार मल्टीप्लेक्स में बेठकर फ़िल्म को हिट कर रहे थें। भगवा ब्रिगेड के बड़े नेताओं की माने तो इस पूरे मूददे पर वे बहुसंख्यक समाज की भावनाओ को समझ नही पाये। शायद ये ही कारण है आज सोमवार को विहिप का प्रान्त स्तर पर ज्ञापन देने का आंदोलन स्थगित कर दिया गया हैं। अब इस मूददे पर नए सिरे रणनीति बनाई जा रही हैं।