श्रीनगर के दौरे पर केंद्रीय कृषि मंत्री, लगी 126 किस्म के सेब की प्रदर्शनी

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श्रीनगर। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज कश्मीर प्रवास के दौरान श्रीनगर में केंद्रीय शीतोष्ण बागवानी शोध संस्थान का दौरा किया। इस अवसर पर उनके साथ राज्य मंत्री सुशोभा करदलाजे व कैलाश चौधरी तथा जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा के सलाहकार डॉ. फारूख खान भी उपस्थित थे। साथ ही संस्थान ने आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष में आज सेब दिवस का आयोजन किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि तोमर ने संस्थान द्वारा शोध क्षेत्र में किए गए सघन बागवानी प्रयोग की सराहना करते हुए इसे आगे बढ़ाते हुए अधिकाधिक किसानों के साथ जोड़ने का आह्वान किया ।

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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत आने वाले इस केंद्रीय शीतोष्ण बागवानी शोध संस्थान में मुख्य अतिथि तोमर ने ग्रामीण कृषि मौसम सेवा योजना के तहत कृषि विज्ञान केंद्र, बारामूला में स्थापित स्वचालित कृषि मौसम स्टेशन, कृषक समुदाय को अधिक सटीकता के साथ कृषि सलाहकार सेवाएं जारी करने के लिए समर्पित किया। कार्यक्रम में तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही है। उन्होंने किसानों से उत्पादकता बढ़ाने, कृषि को अधिक लाभदायक उद्यम, बेहतर जीवनस्तर लिए प्रौद्योगिकी के बेहतर अनुप्रयोग के लिए अपील की।

आपको बता दें कि, इससे पहले उन्होंने प्रायोगिक फार्म का दौरा किया और संस्थान द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों और रोपण सामग्री से परिचित होने के लिए प्रौद्योगिकी पार्क का निरीक्षण किया। सेब दिवस पर सेब की 126 किस्मों की प्रदर्शनी लगाई गई, जिसका उदघाटन तोमर ने किया। भाकृअनुप के उप महानिदेशक (बागवानी) डॉ. आनंद कुमार सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया और संस्थान की प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश डाला एवं भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए वैज्ञानिक सामरिकता पर विशेष जोर दिया।

साथ ही संस्थान के निदेशक डॉ. ओम चंद शर्मा ने बताया कि संस्थान ने अखरोट अनुसंधान में भी अग्रणी भूमिका निभाई है और कई विशिष्ट जीनोटाइप का चयन किया है। पिछले दशक के दौरान संस्थान ने जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु आदि राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को लगभग साढ़े चार सौ हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग 70 हजार पौधों की आपूर्ति की है।