उज्जैन: इस साल 2022 का पहला शनि प्रदोष है। ज्योतिषियों का कहना है कि प्रदोष व्रत करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है तथा पूजन व्रत आदि करने से भी सौभाग्य की प्राप्ति होगी। बता दें कि ज्योतिष शास्त्र में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व बताया गया है।
सूर्य-शनि का अशुभ योग
शुक्ल और कृष्णपक्ष की त्रयोदशी यानी तेरहवीं तिथि को प्रदोष कहा जाता है। शिवपुराण के अनुसार शिवजी की प्रिय तिथि होने से प्रदोष में की गई शिव पूजा का विशेष फल मिलता है। भगवान शिव ही शनि देव के गुरू हैं। सूर्य अपने शत्रु ग्रह यानी शनि की राशि मकर में आने के बाद शनि के ही साथ रहेगा। इन दो ग्रहों से बन रहे अशुभ योग के प्रभाव से बचने के लिए शनि प्रदोष पर शिव पूजा करनी चाहिए। शनि प्रदोष पर की गई शिव पूजा से शनि के अशुभ असर और परेशानियों से बचा जा सकता है।
ये उपाय करें
शनि प्रदोष के शुभ योग में रुद्राभिषेक और शनिदेव का तेलाभिषेक करने के बाद चांदी के नाग नागिन की पूजा करनी चाहिए। फिर उन्हें पवित्र नदी में बहा देना चाहिए। शिवजी का अभिषेक करने से पितृदोष भी खत्म होता है। इसके साथ ही शनिदेव का तेल से अभिषेक करने से भी हर तरह की परेशानियां खत्म हो जाती हैं। जब शनिवार को प्रदोष यानी त्रयोदशी तिथि हो तो इस संयोग में की गई पूजा से शनि के अशुभ प्रभाव से होने वाली तकलीफों से राहत मिलती है। जो लोग शनि की महादशा, साढ़ेसाती और ढय्या से परेशान हैं उनके लिए 15 जनवरी को आने वाला शनि प्रदोष का दिन बहुत खास है।