महिला हो या पुरुष दोनों की यह ख्वाहिश होती है कि उनकी भी खुशहाल फैमिली हो, बच्चे हो। लेकिन ऐसे कई कारण होते है जिसकी वजह से यह सपना पूरा नही हो पाता और कई कपल को इसके लिए अन्य चीजों का सहारा लेना पड़ता है। आज हम आपको इससे जुड़ी कई अहम जानकारी देने वाले हैं। आखिर क्या वजह है कि क्यों यह सपना पूरा नहीं हो पाता और इसमें कौन सी समस्या आती है और इससे कैसे बचा जा सकता है।
वैसे तो कई कपल को माता पिता बनने के लिए कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है लेकिन पुरुषों को बच्चा पैदा करने के लिए भी कई समस्या आती है। क्योंकि एक समय के बाद पुरुषों में बच्चा पैदा न करने की समस्या भी ज्यादा बढ़ रही है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए भारत और जर्मनी के फर्टिलिटी एक्सपर्ट्स की एक टीम ने स्पर्म की क्वालिटी और इजैक्यूलेशन मतलब स्पर्म का निकलना इस दोनों के बीच के संबंध को जानने की कोशिश की हैं। 1 जुलाई को “एंड्रोलॉजी” में इस स्टडी की सूचना दी गई थी और यह अमेरिकन सोसायटी ऑफ एंड्रोलॉजी एवं यूरोपियन एकेडमी ऑफ एंड्रोलॉजी का ऑफिशियल जर्नल शामिल है।
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रिसर्च ने इजैक्यूलेशन की लेंथ और इससे स्पर्म पर पड़ने वाले इसके असर के बीच के संबंध के बारे में भी जानने की कोशिश की है। ऐसा माना जाता है कि लंबे समय तक इजैक्यूलेशन से दूर रहने से सीमन में स्पर्म की कोशिकाओं की संख्या बढ़ जाती है। लेकिन फर्टिलिटी एक्सपोर्ट्स प्रेगनेंसी प्लान कर रहे लोगों को दो इजैक्यूलेशन के बीच 2 से 3 दिन का अंतराल रखने की बात करते हुए सलाह दी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इंटरकोर्स के बीच बहुत कम गैप रखने से भी प्रेग्नेंसी की संभावना कम हो जाती है। मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन के वाइस चांसलर जनरल वेंकटेश ने कहा है कि इनफर्टिलिटी को अक्सर महिलाओं के मुद्दे के रूप में देखा जाता है। लेकिन भारत में भी यह पाया गया है कि इनफर्टिलिटी के लिए लगभग 50 फीसदी पुरुष ही कारण होते हैं। ज्यादातर मामलों में ऐसा स्पर्म की खराब क्वालिटी के कारण ही होता है।
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स्टडी पर केएमसी मणिपाल के डीन डॉ शरथ राव का कहना है कि पुरुषों में फर्टिलिटी की समस्या पर आज भी खुलकर बात नहीं होती है और इसे अनदेखा भी किया जाता है। यही वजह है कि कई बार इसका पता भी नहीं चल पाता और ना ही इसका इलाज कराया जाता है। आगे कहा है कि अगर रिसर्च के नतीजे आ जाते हैं तो उससे पुरुषों में इनफर्टिलिटी की समस्या से किस तरह से निपटना है। इसके बारे में भी पता चल जाएगा और इस समाधान और इस समस्या का समाधान भी किया जाएगा। स्टडी के बारे में डॉक्टर अडिगा का कहना है कि हमारे ऑब्जरवेशन करने से पता चला है कि इजैक्यूलेशन लेंथ स्पर्म की फर्टिलिटी क्षमता को तय करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है और एक सफल प्रेगनेंसी के लिए सीमन में मौजूद स्पर्म काउंट ही काफी नहीं होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एक बार जब सीमन वजाइना में जाता है, तो स्पर्म को एग की ओर जाना होता है। इसके लिए स्पर्म की गतिशीलता, संरचना के साथ डीएनए की गुणवत्ता भी बहुत जरूरी होती है।
आपको बता दें कि इस स्टडी के लिए 10 हजार पुरुषों के 2 इजैक्यूलेशन के बीच के गेप और स्पर्म की क्वालिटी को देखा गया। इसके नतीजे में पाया गया है कि अगर आप प्रेगनेंसी के लिए ट्राई कर रहे हैं तो इसकी अच्छी क्वालिटी के लिए औसत गुणवत्ता के स्पर्म वाले पुरुषों को 2 इजैक्यूलेशन के बीच 2 दिन गैप रखना चाहिए। जिन लोगों की स्पर्म क्वालिटी काफी ज्यादा खराब है तो उन्हें इसे बेहतर बनाने के लिए के लिए 2 इजैक्यूलेशन के बिच करीब 6 से 15 दिन का गैप करना चाहिए।