मार्गशीर्ष मास कृष्ण पक्ष अमावस्या (Amavasya) 4-12-21 शनिवार, शनैचर अमावस्या – शनिवार को अमावस्या का योग -‘
अमावस्या तिथि का पर्व शनिवार को सूर्योदय से प्रारंभ होकर दोपहर 1 -13 मिनट:तक है ।
-अमावस्या— शनिवार—- अनुराधा नक्षत्र- नाग करण का योग –‘
-अनुराधा नक्षत्र के स्वामी शनि देव -‘—– शनिवार को शनि नक्षत्र—‘
-सूर्य ग्रहण दर्शन हमारे भारत मे नही हे इसका यम नियम सूतक आदि का कोई पालन हमारे यहा नही होगा।
-देव पूजन व पितृ पूजन श्राद्ध धूप पिण्ड दान की अमावस्या शनिवार को ही है।
-अमावस्या तिथि – शनिवार को होने शनिचरी अमावस्या का दिव्य योग —
-तीर्थ स्नान तर्पण दर्शन पूजन हवन दान-पुण्य जप तप मंत्र सिद्धि का महापर्व।
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-शनि साढे साती चतुर्थी ढैया अष्टम ढैया शनि महादशा शनि शांति पूजा विधि का विशेष योग है।
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-” पितृ पूजन पितृ दोष निवारण पूजन नारायण बलि नागबलि नागदोष त्रिपिण्डी श्राद काल सर्प दोष पूजन बाधा पूजन ग्रह शांति पूजन 🌟तुला दान छाया दान का विशेष योग -‘
-संत ब्राह्मण निःशक्त निर्धन दिव्यांग कन्या गौ माता को पूजन भोजन व उपयोगी वस्तुओ को प्रदान कराने का महापर्व।
-शिव जी का व अपने इष्ट देव का पूजन अभिषेक का महापर्व।
-अमावस्या मूलत: पितरों की तृप्ति के लिए दान-पूजन करने का सर्वश्रेष्ठ दिन है। पितरों की कृपा के बिना जीवन में अस्थिरता रहती है, कठोर मेहनत के बाद भी उचित फल नहीं मिलता है। पितृ दोष निवारण के लिये अमावस्या के दिन पितृरो का पूजन व भगवान शिव की पूजा करके से अपने अपराधों एवं त्रुटियों के लिये क्षमा मांगे तो पितृ दोष से उत्पन्न समस्त समस्याओं का निवारण हो जाता है। आप सभी इस महापर्व पर शिव व. पितृ पूजन करके अपने मनोरथ को पूर्ण करे।