बुलंदियों के शिखर तक पहुंचने के लिए, व्यक्ति में होना चाहिए ये विशेष गुण, हर क्षेत्र में मिलेगी सफलता

Simran Vaidya
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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की नीतियों को सफलता प्राप्त करने के लिए सबसे महत्वपुर्ण साधन माना गया है। उनके द्वारा रचित नीतियों का पालन करके लाखों युवा सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ रहे हैं। आपको बता दें कि आचार्य चाणक्य की गणना विश्व के श्रेष्ठतम विद्वानों में की जाती है। उन्हें न सिर्फ राजनीति, कूटनीति और अर्थनीति का विस्तृत ज्ञान था, बल्कि उन्हें जीवन के अन्य मूल्यवान विषयों का भी ढेर सारा ज्ञान था। आज चाणक्य नीति के इस भाग में हम बात करेंगे कि किन तीन गुणों से व्यक्ति श्रेष्ठ बनता है।

आचार्य चाणक्य ने अपने जीवन में विषम से विषम कंडीशन का सामना किया था परंतु कभी हार नहीं मानी और अपने टारगेट को प्राप्त किया। यदि कोई व्यक्ति आचार्य चाणक्य की बातों का अनुसरण अपने जीवन में करता है, तो वह जीवन में कभी गलती नहीं करेगा और सफल मुकाम पर पहुंच सकता है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों से हमेशा समाज का मार्गदर्शन किया है। आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में कुछ विशेष गुण बताए हैं जो व्यक्ति को श्रेष्ठ बनाते हैं और उसे सफलता के शिखर तक ले जाते हैं।

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यह गुण हैं श्रेष्ठ व्यक्ति के आभूषण

कोकिलानां स्वरो रूपं नारी रूपं पतिव्रतम्। विद्या रूपं कुरूपाणां क्षमा रूपं तपस्विनाम् ।।

वाणी:

वाणी के चार पाप - content in Hindi

एक उच्च और श्रेष्ठ शिक्षित व्यक्ति की आवाज कोयल के समान कोमल और मधुर होती है। उसका स्वभाव भी इसी प्रकार का रहता है और यही व्यक्ति का बहुमूल्य आभूषण है। इससे न सिर्फ समाज में आपको सम्मान मिलता है, अपितु अपने कुल का भी नाम ऊंचा होता है।

ज्ञान:

ज्ञान का हमेशा सही उपयोग करना चाहिए, तभी जीवन सफल होता है | motivational story, inspirational story, importance of knowledge, prerak katha - Dainik Bhaskar

आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में बताया है कि कुरूप मनुष्य की खूबसूरती उसका ज्ञान होती है। एक ज्ञानी इंसान समाज में हर पद पर सम्मान प्राप्त करता है और वह अपने ज्ञान के दम पर सफलता का हर शिखर हासिल करता है। इसलिए मनुष्य को शारीरिक सुन्दरता से ज्यादा ज्ञान की सुंदरता को बढ़ाने पर कार्य करना चाहिए। और ज्ञान की महत्वता को मद्दे नज़र रखते हुए सदैव ही ज्ञान का आचरण करना चाहिए। यह व्यक्ति का अमूल्य आभूषण है।

क्षमा भाव:

क्षमा की क्षमता

आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में बताया है कि जिस व्यक्ति के मन में क्षमा अर्थात माफ कर देने का भाव होता है, वह तपस्वी के समान तेजवान और गुणवान मनुष्य होता है और यही उनके लिए बहुमूल्य आभूषण है। इसलिए क्षमा और करुणा भावना सभी मनुष्य के अंदर होनी चाहिए। इस भावना से न तो कोई व्यक्ति आपका शत्रु बनता हैं और न ही मित्र व घर परिवार में विवाद उत्पन्न होता है।

विनम्रता:

Chanakya Neeti: एक व्यक्ति के व्यक्तित्व को जानने की पहली सीढ़ी उसकी विनम्रता रूपी गुण होती है।

विनम्रता एक ऐसी खान है जिसमें सहनशीलता, दया, परोपकार, प्रसन्नता, प्यार, वाणी, सुव्यवहार, स्वभाव, आचरण, रूपी अनेकों गुण शामिल होते हैं। इससे व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में सफलता पा सकता है। इसलिए कहा गया है मनुष्य का बहुमूल्य आभूषण और श्रृंगार उसकी नम्रता का गुण है। आचार्य चाणक्य के अनुसार एक व्यक्ति के व्यक्तित्व को जानने की पहली सीढ़ी उसकी विनम्रता कैसा गुण ही होता है, तभी आगे व अन्य मानवीय गुणों को प्राप्त करेगा। अगर मनुष्य का स्वभाव विनम्र नहीं है तो वो सफल होकर भी अधिक दिनों तक सफलता के टॉप पर नहीं रहता।

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