विजय अड़ीचवाल
आज शुक्रवार, फाल्गुन शुक्ल द्वितीया तिथि (Tithi) है।
आज उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है
-( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
-आज फुलेरा दूज है।
-आज रामकृष्ण परमहंस जयन्ती है।
-होली पर्व का सम्बन्ध काम दहन से है। भगवान शंकर ने अपनी क्रोधाग्नि से कामदेव को भस्म कर दिया था, तभी से यह पर्व मनाया जाने लगा।
-बसंत पञ्चमी से प्रकृति में नया परिवर्तन आने लगता है। प्रकृति में मादकता का अनुभव होने लगता है।
-होली पर्व को नवोन्नेस्टि यज्ञ पर्व भी कहा जाता है।
-खेत से नया अनाज यज्ञ में हवन करके प्रसाद लेने की परम्परा है।
-अग्नि में सेंके गए अन्न को होला कहते हैं। इसी से इसका नाम होली पड़ा।
-परम्परानुसार होली दहन के समय या बाद में प्रायः सभी परिवार के लोग गेहूं की उम्बी सेंककर घर लाते हैं।
-यह रिवाज इसी का प्रतीक है। सींके हुए चने की घेटियों को होला कहते हैं।
-होलिका भक्त प्रहलाद की बुआ का नाम था, इसलिए भी इसका नाम होली पड़ा।
-नारद जी की सलाह पर महाराज युधिष्ठिर ने फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के दिन प्रजा को अभयदान देकर होली का उत्सव मनाने का आदेश दिया था।
-तभी से सभी लोग जातिभेद मिटाकर एक – दूसरे पर अबीर, गुलाल का रंग लगाकर गले मिलते हैं।
-इससे एकता, सद्भावना और उल्लास का परिचय मिलता है। द्वेष भाव मिटता है। परस्पर स्नेह, भाईचारा बढ़ता है।