आज मंगलवार, चैत्र कृष्ण द्वादशी तिथि है।
आज धनिष्ठा नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है
-( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
-आज भौम प्रदोष व्रत है।
-पञ्चक मध्य रात्रि से लग चुका है।
-कल बुधवार को वारुणी पर्व है।
-वारुणी पर्व के दिन गङ्गा आदि तीर्थ स्थानों में स्नान, दान और उपवास करने से सौ सूर्य ग्रहण में किए गए स्नान दान के समान फल प्राप्त होता है।
-प्रदोष व्रत शिवजी की प्रसन्नता और प्रभुत्व की प्राप्ति के प्रयोजन से किया जाता है।
-शिव पूजन और रात्रि – भोजन के अनुरोध से इसे प्रदोष कहते हैं।
-प्रदोष का समय सूर्यास्त से 48 मिनट रात बीतने तक है।
-यदि कृष्ण पक्ष में सोमवार युक्त और शुक्ल पक्ष में शनिवार युक्त प्रदोष हो तो उसका विशेष फल प्राप्त होता है।
-प्रदोष व्रत की पूर्ण अवधि 21 वर्ष की है। इसके बाद सामर्थ्य अनुसार उद्यापन कर देना चाहिए।
-संन्यासी, ब्रह्मचारी, व्रती की देह त्याग पर अन्त्येष्टि के तत्काल बाद शुद्धि बताई गई है। (पराशर स्मृति)