अगले 24 घंटों में प्रदेश के इन 10 जिलों में होगी झमाझम बारिश, मौसम विभाग ने जारी की चेतावनी

Simran Vaidya
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MP Weather Update Today: बीते कुछ दिनों से प्रदेश के वातावरण में काफी ज्यादा परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं।लेकिन अभी मौजूदा समय में फिलहाल कोई भी वेदर सिस्टम एक्टिव नहीं है। जिस कारण हवाओं का मिजाज भी निरंतर बदल रहा है। इसके चलते टेंपरेचर भी गड़बड़ा गया है। दिन में तो लोगों को धूप की मार झेलना पड़ती है लेकिन रात्रि में सर्दी का अनुभव हो रहा है। वहीं शुक्रवार को राजधानी में स्थानीय लोगों को ग्रीष्म ने काफी ज्यादा चिंतित कर रखा है।

वहीं आपको बता दें कि मौजूदा समय में एक वेस्टर्न डिस्टर्बेंस उत्तराखंड के समीप बना हुआ है। उत्तरी राज्यों में भी स्नोफॉल अभी प्रारंभ नहीं हुआ है। इस कारण से अभी तक प्रदेश में सर्दी का प्रभाव तीव्र नहीं हुआ हैं।

कृषकों के लिए अमृत वर्षा की आशंका

गौरतलब है कि, इस माह में कृषि करने वाले कृषकों को कुछ आराम भरी वर्षा होने की भी आशंका जताई जा रही है। मौसम कार्यालय की मानें तो दीपावली के पश्चात सागर समेत पूरे बुंदेलखंड में छिटपुट जगहों पर रिमझिम बूंदें पड़ने की भी प्रबल आशंका जताई गई है। इधर वर्षा होने से कृषकों को फसल की बुनाई करने में राहत मिल रही हैं। जिन कृषकों ने बोबनी कर दी है, उनकी फसल को सुरक्षा प्रदान करने हेतु मदद भी मुहैया कराई जाएगी। यदि थोड़ी अच्छी बारिश होती है तो यह है कृषकों के लिए अमृत तुल्य बारिश के समान हैं।

मौसम कार्यालय का अंदेशा

यहां पर नवंबर के तीसरे हफ्ते में दीपावली के बाद बंगाल की खाड़ी में नई मौसम प्रणाली बनने का कारण जाहिर किया गया हैं। जिसका जोरदार प्रभाव बुंदेलखंड में भी चार-पांच दिनों तक बना हुआ रहेगा। इसके बाद टेंपरेचर गिरेगा और सर्दी बढ़ेगी। वहीं आद्रा हवाओं के स्थान पर उत्तरी तीव्र हवाओं का झोका भी चलाया हुआ दिखेगा। जिससे मौसम थोड़ा ही सही मामूली सर्दी तो कभी कभी आकाश में मामूली मेघ डेरा डाले रहेंगे। इसमें सवेरे संध्या बेहद लुभावनी होगी। वहीं नवंबर महीने के दूसरे पखवाड़े में कड़ाके के कोहरे का आगाज हो जाएगा। अधिकांश दिनों में आकाश क्लियर बना रहेगा और दिन मध्यम होंगे। नवंबर का वेदर अत्याधिक तेजी से प्रभावशील नहीं होता है।

कब आएगी मौसम में मंदी

मौसम विशेषज्ञों के अंदेशे के अनुसार आगामी दिनों में भी मौसम इसी प्रकार बना रह सकता है। जैसे ही उत्तर भारत में वर्षा की और स्नोफॉल की हलचल प्रारंभ होगी, उसी के साथ प्रदेश के टेंपरेचर में भी भारी कमी देखने को मिलेगी।