देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने की तारीख सामने आने के साथ ही सियासत तेज होने लगी है। हालांकि सबसे अधिक नजर यदि है तो वह पंजाब और उत्तर प्रदेश पर ही। बीते कुछ समय से ये दोनों प्रदेश राजनीति का प्रमुख केन्द्र बने हुए है।
इधर भाजपा के लिए उत्तराखंड भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि बीते चार माह के दौरान भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने तीन मुख्यमंत्रियों को बदल दिया है। इस भाजपा के ’प्रयोग’ का फायदा पार्टी को मिलेगा या नहीं यह तो विधानसभा चुनाव के परिणाम आने पर ही पता चलेगा। वैसे भाजपा के विरोधी दल तो यही चाहते होंगे कि तीन तिगाड़ा…अर्थात भाजपा का चुनाव में वोटों का गणित बिगाड़ा….!
60 से अधिक सीटों पर दांव
भजपा ने उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में 60 से अधिक सीटों पर जीतने का दांव बना रखा है।
यहां उल्लेखनीय है कि 2017 के पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 57 सीटों पर जीत हासिल की थी।
उत्तराखंड के ये तीन
मार्च में बीजेपी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह तीरथ सिंह रावत को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया था। जुलाई में तीरथ सिंह की जगह पुष्कर सिंह धामी ने ले ली ।
क्या हरिद्वार है सत्ता का द्वार
उत्तराखंड का महत्वपूर्ण स्थान है हरिद्वार। यह तीर्थ स्थली है और साधु संतों से भरा पड़ी हुई है। बीते चुनावी माहौल में भी सभी राजनीतिक दल सत्ता में पहुंचने के लिए हर समीकरणों को साधे हुए थे वहीं इस बार भी होना ही है। इसके अलावा भाजपा की शीर्ष नेतृत्व जब भी उत्तराखंड की यात्रा पर आता है साधु संतों के पास आशीर्वाद लेने अवश्य ही जाता है। राजनीतिक हलकों में इस बात का विश्वास है कि उत्तराखंड में सत्ता का द्वार हरिद्वार ही है….!
स्थापना से अब तक यहाँ ग्यारह मुख्यमंत्री
राज्य की स्थापना से अब तक यहाँ ग्यारह मुख्यमन्त्री हुए हैं। नित्यानन्द स्वामी, भगत सिंह कोश्यारी, नारायण दत्त तिवारी, भुवन चन्द्र खण्डूरी , रमेश पोखरियाल निशंक, भुवन चन्द्र खण्डूरी एक कार्यकाल में दूसरी बार, विजय बहुगुणा, हरीश रावत, त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत, वर्तमान मुख्यमन्त्री पुष्करसिंह धामी हैं।