इंदौर : इंदौर दिगम्बर जैन समाज के युवा इतिहास रचने जा रहे है। 9 मार्च से 15 मार्च तक सकल दिगम्बर जैन समाज युवा-महिला प्रकोष्ठ, इंदौर द्वारा जैन समाज के सबसे बड़े तीर्थ सम्मेद शिखर जी की यात्रा निकाली जा रही है। जानकारी देते हुए यात्रा के आयोजक राहुल सेठी, पीयूष रावका और सुयश जैन ने बताया की झारखंड राज्य में स्थित सबसे बड़े तीर्थ क्षेत्र सम्मेद शिखर जी की यात्रा होगी। इसमें रेल विभाग के आइआरसीटीसी विभाग से स्पेशल ट्रेन की बुकिंग की गई है।
इस स्पेशल ट्रेन का नाम चिंतामणि पारसनाथ एक्सप्रेस रखा गया है। इस ट्रेन में 1 थर्ड एसी कोच, 14 स्लिपर कोच, 2 एसएलआर कोच के साथ एक पेंट्रीकार के माध्यम से यात्रा होगी। इस प्रकार कुल 18 कोच रहेंगे। 9 मार्च 2022 को यात्रा इंदौर स्टेशन से यात्रा निकलेगी। स्टेशन पर समस्त यात्रियों का सम्मान किया जाएगा। युवा प्रकोष्ठ अध्यक्ष मनीष सोनी मावावाला और महासचिव राकेश पाटनी ने बताया की ये यात्रा 11 मार्च को सम्मेद शिखर जी पहुँचेगी। इस दिन यात्रीगण पर्वत के नीचे स्थित सभी जैन मंदिर के दर्शन करेंगे।
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इसके पश्चात 12 मार्च को पर्वत की वंदना की जाएगी। 13 मार्च को सम्मेद शिखर जी विधान का संगीतमय आयोजन होगा। 14 मार्च को फागुन माह के उपलक्ष्य में रंगारंग फागयात्रा निकाली जाएगी। फिर इसी दिन दोपहर में सभी यात्री इंदौर के लिए ट्रेन से रवाना हो जायेंगे। 15 मार्च को देर रात यात्रा का समापन होगा। यात्रा के लिए ट्रेन में व्यवस्था सम्भालने की जवाबदारी राजकुमार काला, कल्पना जैन, सुधीर जैन ख़लीफ़ा, यश जैन, पूजा बड़जात्या, भावना चाँदीवाल, को दी गई है।
27 किलोमीटर की वंदना और कोविड के नियम का पालन
आइटी प्रभारी सलोनी जैन और अदिति जैन और महिला प्रकोष्ठ अध्यक्ष पूजा विकास कासलीवाल ने बताया की शिखर जी पर्वत की वंदना के लिए यात्रियों को 27 किलोमीटर चलना पड़ता है। इसमें 9 किलोमीटर ऊपर चड़ाई, 9 किलोमीटर पर्वत पर घूम कर टोंक के दर्शन और उसके बाद में 9 किलोमीटर नीचे उतरना होता है। यात्रा के लिए नियम निर्धारित किया गया है की सभी को कोविड के नियम का पालन करना अनिवार्य रहेगा।
जैन धर्म में ये है मान्यता
महिला प्रकोष्ठ की मार्गदर्शक रुचि गोधा, महासचिव भावना चाँदीवाल, समन्वयक मेघना जैन ने बताया की जैन धर्म में सम्मेद शिखर जी की वंदना का बहुत महत्व है। इस पर्वत से 20 तीर्थंकर मोक्ष गए है। इसी तरह अनंतानंत मुनिराज मोक्ष गए है। ऐसा कहा जाता है की जो कोई भी मानव इस पर्वत की भाव सहित वंदना करते है उन्हें नरक गति नहीं होती है।