इंदौर के पोहे का स्वाद बाहर के लोगों की जबानों पर, बढ रही हर साल खपत

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इंदौर के स्वाद का रस तो देश और विदेश के कई लोगों ने चखा है। जो भी शहर में आता है ,तो यहां के स्वादिष्ट व्यंजन को भूले नही भूल पाता है, वैसे तो इंदौर अपने अलग अलग पकवानों के लिए मशहूर है, लेकिन जब बात यहां के मशहूर पोहे की आती है, तो इंदौरीयो की पहली पसंद पोहा है, और इसमें अगर जलेबी की मिठास घुल जाए तो मजा दोगुना हो जाता है। बाहर के लोग जब इंदौर आते है तो सबसे पहले यहां के पोहे खाते है।

शहर के पोहे फेमस होने की वजह से बढ़ रही खपत

शहर में पोहे के लिए छोटी और कई बड़ी दुकान संचालित है, इन दुकानों के संचालक बताते है कि किसी के यहां तीन सो तो किसी के यहां पांच सो और कहीं पर सात सो से ज्यादा प्लेट पोहे एक दिन में बिक जाते है।

बाहर के लोगों के बीच इंदौर के पोहे मशहूर होने से इसके ग्राहकों में इजाफा होता ही जा रहा है। शहर में 1949 से पोहे की दुकान चलने वाले प्रशांत नाश्ता कॉर्नर के मालिक दीपक जोशी बताते है कि हमारी शहर की सारी दुकानों की बात करे तो रोजाना लगभग दो हजार प्लेट पोहे बिक जातें है। जिसमें उसल और सादा पोहा दोनों शामिल है।

रायपुर और उज्जैन का कच्चा पोहा आता है शहर में

 

मल्हारगंज, छावनी और शहर में दूसरी जगह कच्चे पोहे के हॉलसेल कारोबारी है, यहीं से लगभग सारे पोहे आते है, पहले उज्जैन का पोहा मशहूर था, और आज भी लोग उसे पसंद करते है, लेकिन हमारे यहां ज्यादातर रायपुर का पोहा बनता है यह फुगने, गलने और स्वाद में अच्छा रहता है। ग्राहकों की पहली पसंद होता है रायपुर छत्तीसगढ़ का पोहा।

लगभग एक हजार से ज्यादा पोहे की दुकानें शहर में है

इंदौर शहर पोहे के स्वाद के लिए जाना जाता है, शहर के हर कोने नुक्कड़, चौराहे और अन्य जगह पोहे की दुकानें मौजूद है। कई बड़ी तो कई छोटी दुकानें मौजूद है। जब हमने छोटी दुकान संचालक से जाना तो उनके यहां दो से से तीन सो पोहे की प्लेट रोजाना बिकती है, वही बड़ी दुकानों पर यह आंकड़ा पांच सो से एक हजार प्लेट पर जाता है।

पिछले पांच सालों मे लगभग पंद्रह से बीस प्रतिशत पोहे की खपत में हुईं बढ़ोतरी

बाहर के लोगों में इंदौर का पोहा मशहूर होने से इसकी खपत में काफी इजाफा हुआ है, पिछले पांच साल की अगर हम बात करें तो इसमें लगभग पंद्रह से बीस प्रतिशत की खपत में बढ़ोतरी हुई है। बाहर के लोग खाने के साथ अपने घर भी पैक करवाकर ले जाते है। कई जगह पोहे के स्वाद को और बढ़ाने के लिए चटपटी बूंदी, बड़ी सेव डाली जाती है, लेकिन लोगों की पहली पसंद पतली सेव होती है।

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शहर को पोहे का स्वाद चखाने वाले दीपक जोशी बताते है,कि महाराष्ट्र से आकर उनके पिता पुरषोत्तम चिंतामण जोशी ने जेल रोड पर प्रशांत कॉर्नर की स्थापना की थी तब से वह शहर में पोहे की दुकान चला रहे है।