इंदौर : दि सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) ने सोयाबीन की फसल की ताजा सर्वे रिपोर्ट जारी की है। सोपा ने तीन प्रमख सोयाबीन उत्पादक राज्यों मप्र राजस्थान और महाराष्ट्र में कुल 5787 किमी क्षेत्रफल में 16 से 31
अगस्त के दौरान सर्वे को अजाम दिया। सोपा के अनुसार फिलहाल सोयाबीन की फसल की स्थिति बेहतर है। फसलों में येलो मोजेक या अन्य किसी कीट व्याधी के प्रकोप से भी सोपा ने इनकार किया है।
सरकार ने इस साल देशभर में कुल 120. 429 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बवुाई का आंकड़ा दिया था। सोपा ने फिलहाल अपनी रिपोर्ट में बवुाई में सरकारी आंकड़ों का ही संदर्भ दिया है। सोपा के मुताबिक बवुाई के कुल क्षेत्रफल की जांच के लिए सोपा अपना सैटेलाइट आधारित सर्वे कर रहा है। आने वाले दिनों में सोपा सर्वे की रिपोर्ट जारी करेगा। उम्मीद जताई जा रही है कि सोपा का अनुमान सरकार द्वारा दिए गए अनुमान से ज्यादा हो सकता है। ताजा सर्वे के आधार पर सोपा ने नतीजा दिया है कि देश में सोयाबीन की फसल की स्थिति सामान्य है।
पौधों की वृद्धि बेहतर है। ज्यादातर फसल फलने और फूलने की स्थिति पर पहुंच गई हैं। अब तक फसल व्याधि मुक्त नजर आ रही है। सितंबर में मौसम अच्छा रहा और ज्यादा बारिश नहीं हुई तो सोयाबीन का उत्पादन अच्छा रहेगा। येलो मोजेक जैसी किसी बीमारी का असर सोपा के सर्वे में नजर नहीं आया। हालांकि सोपा ने यह जरुर माना कि कुछ क्षेत्रों में ज्यादा बारिश के कारण खेतों में जलजमाव दिखा। इससे कहीं कहीं सोयाबीन के पौधों की पत्तियां पीली पड़ रही हैं। इन क्षेत्रों में उत्पादन पर कुछ असर दिख सकता है। हालांकि सितंबर में अच्छी धूप खिली तो सोयाबीन का उत्पादन ज्यादा रहने की उम्मीद है।
उल्लेखनीय है कि भारत खाद्य तेल के सबसे बड़ा आयातक देश है। देश अपनी जरूरत का 63 प्रतिशत तक खाद्य तेल आयात करता है। दो वर्षों में खाद्य तेल और सोयाबीन के दाम उच्च स्तर पर रहे हैे। ऐसे में अब अगली सोयाबीन की फसल से ही देश में खाद्य तेलों के दाम नरम पड़ने की उम्मीद टिकी हुई है। फिलहाल मप्र की तमाम मंडियों में सोयाबीन की छिटपटु आवक शरू हो चुकी है। मप्र में फिलहाल 50 लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में सोयाबीन की बवुाई की उम्मीद है जो बीते वर्ष से करीब पांच लाख हेक्टेयर कम है।