इसलिये प्रदेश में सबसे अनूठी है इंदौर की ‘अहिल्या माता’ गौशाला

Shivani Rathore
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♦️कीर्ति राणा

यया सर्वमिदं व्याप्तं जगत् स्थावरजङ्गमम्।
तां धेनुं शिरसा वन्दे भूतभव्यस्य मातरम्॥
अर्थ-जिसने समस्त चराचर जगत् को व्याप्त कर रखा है, उस भूत और भविष्य की जननी गौ माता को मैं मस्तक झुका कर प्रणाम करता हूं l

गौमाता के प्रति यह भाव तब और तेजी से उमड़ने-घुमड़ने लगेगा जब आप भी किसी दिन सपरिवार इंदौर में केशरबाग रोड (रेलवे फाटक के समीप) स्थित अहिल्या माता गौशाला जीवदया मंडल में दो-तीन घंटे बिताएं और इस गौशाला के सचिव पुष्पेंद्र धनोतिया आप को सिलसिलेवार गौवंश के संवर्धन के लिये किए जा रहे कार्यों को बताएं और स्व रवि सेठी को याद करते हुए यह कहते नजर आएं कि नौ दस साल में रवि सेठी जी ने गौशाला का न सिर्फ कायाकल्प किया बल्कि हमें भी यह समझाया कि गौवंश की देखभाल कैसे की जानी चाहिए।

इस गौशाला में करीब 450 गायों, छह नंदियों और बीस केड़ियों का पालन जिस व्यवस्थित-वैज्ञानिक तरीके से हो रहा है उसे इंदौर सहित प्रदेश में गौशाला संचालित करने वाली संस्थाओं, गौवंश पालन करने वालों और गौसेवा के लिये लालायित रहने वाले परिवारों को भी देखना समझना चाहिए।

अहिल्यामाता गौशाला जीवदया मंडल के परिसर में करीब तीन घंटे घूमने और व्यवस्था समझने के बाद मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि 19 एकड़ के विशाल परिसर में संचालित हो रही यह मध्यप्रदेश की सर्वश्रेष्ठ गौशाला है।दो गोबर गैस प्लांट संचालित किये जाने के साथ ही गोबर खाद , वर्मी खाद एवं अन्य प्रकार के जैविक तरल खाद भी तैयार कर विक्रय किए जाकर गौशाला के लिए आर्थिक संसाधन जुटाए जा रहे हैं।इंदौर के साथ ही पेड़मी गांव स्थित गौशालाओ में पानी की पर्याप्त व्यवस्था ट्यूबबवेल, बावड़ी व तालाबों द्वारा की जाती है।

केशरबाग स्थित इस गौशाला में सप्त गौमाता मंदिर के साथ ही गोबर का क्या महत्व है उसे भी सूचनापटल के माध्यम से समझा जा सकता है। यही नहीं गर्भवती महिलाएं जैसी संस्कारवान संतान की कल्पना करती है वैसी संतान के लिए किन नियमों का पालन आवश्यक है इसके लिए गर्भवती महिलाओं के लिए क्लास का संचालन भी किया जा रहा है।हर अमावस्या पर पितरों के तर्पण-पूजन की निशुल्क व्यवस्था और एकादशी पर गौपूजन की सुविधा का लाभ लेने के लिए इन तिथियों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां जुटते हैं।

अहिल्यामाता गौशाला में गायों के रहने के लिए 9 शेड्स एवं पेड़मी में 5 बड़े शेड्स में व्यवस्था की गयी है। पशु आहार, घास एवं भूसा के भण्डारण के लिए 8 गोदाम, वर्मी खाद के लिए एक अन्य गोबर आधारित उत्पादों के लिए 2 शेड्स भी उपलब्ध है। कर्मचारियों के लिए 20 क्वार्टर भी उपलब्ध हैं। यहाँ लगभग 450 गायों की व्यवस्था है। लावारिस और बूढ़ी गायों की देखभाल का ही नतीजा है कि गौकशी का शिकार होने से भी बचाई जा रही है गायें भी यहां पाली जा रही हैं।

पुष्पेंद्र धनोतिया बताने लगे गौमूत्र आधारित दवाइयों का निर्माण करने के लिए विभिन्न लायसेंस, खरीदी-बिक्री पर जीएसटी सहित अन्य टैक्स चुकाने की झंझटों का सामना करने की अपेक्षा नागपुर और अहमदाबाद की नामचीन कंपनियों द्वारा गौमूत्र से निर्मित दवाइयां, गौअर्क आदि का विक्रय अधिक सुविधाजनक लगता है। हर दिन गायों का जो दूध निकालते हैं, गौशाला से जुड़े गौभक्त दुग्ध, गौ अमृत घृत एवं गौ प्रोडक्ट्स खरीद कर गौशाला में सहायता प्रदान करते हैंI