
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक विशेष बातचीत में अपने सेवानिवृत्त जीवन को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सक्रिय राजनीति से विदा लेने के बाद वे अपना जीवन वेदों, उपनिषदों और प्राकृतिक खेती के अध्ययन और प्रचार-प्रसार को समर्पित करना चाहते हैं। यह बयान न केवल उनकी निजी सोच को दर्शाता है, बल्कि एक राजनेता के जीवन के बाद की गंभीर योजना को भी उजागर करता है।
भारतीय दर्शन की ओर झुकाव
अमित शाह ने कहा कि वेद और उपनिषद भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं और इन्हें पढ़ना, समझना और जीवन में उतारना उनका व्यक्तिगत सपना है। उन्होंने यह भी कहा कि यह ग्रंथ केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन दर्शन और वैज्ञानिक ज्ञान के अनमोल भंडार हैं। वे इस ज्ञान को लोगों के बीच पहुंचाने के लिए अभियान चलाने की भी योजना बना रहे हैं।

प्राकृतिक खेती को बताया भविष्य की आवश्यकता
उन्होंने कहा कि आधुनिक समय में रासायनिक खेती ने भूमि और पर्यावरण दोनों को नुकसान पहुंचाया है। रिटायरमेंट के बाद वे पूरी तरह से प्राकृतिक खेती के मॉडल पर काम करना चाहते हैं, जिसमें मिट्टी की गुणवत्ता, जल संरक्षण और जैविक उत्पादकता को बढ़ावा दिया जा सके। अमित शाह ने यह भी स्पष्ट किया कि वे किसानों को प्रशिक्षित करने और जागरूकता फैलाने का काम करेंगे।
राजनीति से इतर जीवन की कल्पना
अमित शाह का यह बयान उनके अब तक के राजनीतिक जीवन से एकदम विपरीत दृष्टिकोण को दर्शाता है। एक सख्त प्रशासक और रणनीतिकार के रूप में पहचाने जाने वाले शाह ने कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद वे आत्मिक शांति और समाज सेवा की दिशा में काम करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि राजनेता का जीवन कठिन होता है, लेकिन आध्यात्मिकता और प्रकृति से जुड़ाव व्यक्ति को भीतर से मजबूत करता है।
युवाओं को भारतीय संस्कृति से जोड़ने की अपील
अमित शाह ने यह भी कहा कि आज के युवाओं को भारतीय संस्कृति, ज्ञान परंपरा और कृषि की जड़ों से जोड़ने की आवश्यकता है। वेदों और उपनिषदों में जीवन के सभी पहलुओं के उत्तर हैं, लेकिन हम उसे आधुनिकता की दौड़ में भूलते जा रहे हैं। उन्होंने इस दिशा में शिक्षा नीति में बदलाव की भी वकालत की।