कला, कथा और कलम के संग ‘सृजन’ ने रचा साहित्यिक माहौल, कहानियों में झलका भोपाल का रंग और रस

भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय में आयोजित साहित्य उत्सव 'सृजन' के दूसरे दिन साहित्य, संचार और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिला। इस दौरान 'पटियाबाज़ी: कहानियाँ और भोपाल' सत्र में जयंत गौर और अजय बोकिल ने भोपाल की साहित्यिक धरोहर को जीवंत किया।

Abhishek Singh
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भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में साहित्य मंडली द्वारा आयोजित साहित्य उत्सव ‘सृजन’ के दूसरे दिन विभिन्न सत्रों और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के जरिए साहित्य, संचार और संस्कृति की शानदार संगति देखने को मिली।

साहित्य उत्सव की शुरुआत ‘पटियाबाज़ी: कहानियाँ और भोपाल’ सत्र से हुई, जिसमें प्रसिद्ध मूर्तिकार और लेखक जयंत गौर तथा वरिष्ठ संपादक अजय बोकिल ने अपने अनुभवों और कहानियों के माध्यम से भोपाल की साहित्यिक आत्मा को जीवंत रूप दिया। उन्होंने पुराने और नए भोपाल से जुड़े रोचक किस्सों को साझा किया, जिसने श्रोताओं को भावनात्मक रूप से जोड़े रखा।

‘सृजन’ में बाल साहित्य और भाषा पर गंभीर विमर्श

‘बच्‍चों की दुनिया’ विषयक सत्र में डॉ. विकास दवे, संजीव दुबे और डॉ. लाल बहादुर ओझा ने बाल साहित्य के विविध पहलुओं पर अपने विचार साझा किए। इस चर्चा में बच्चों के साहित्यिक अधिकार, मनोरंजन और शिक्षण से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें सामने आईं।

वहीं, ‘संचार के नए माध्यम और भाषा’ विषयक सत्र में प्रो. गिरीश उपाध्याय, ब्रजेश राजपूत और विनय उपाध्याय ने बदलते मीडिया परिदृश्य और भाषा की भूमिका पर विचार प्रस्तुत किए। वक्ताओं ने अपने सत्र में भाषा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और तकनीक के प्रभावों पर भी विस्तार से चर्चा की।

नई पीढ़ी और नई हिन्दी, लेखन की बदलती धाराएं

‘आधुनिक साहित्यकार और नई हिन्दी’ सत्र में संदीप द्विवेदी और विशाखा राजुरकर राज ने समकालीन हिन्दी साहित्य की दिशा, नई पीढ़ी की लेखन प्रवृत्तियाँ और उससे जुड़ी चुनौतियों पर अपने विचार व्यक्त किए। सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की श्रृंखला में प्रसिद्ध तबला वादक उमाशंकर तिवारी ने अपनी प्रभावशाली प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

जब कवियों ने मंच पर गूंथी भावनाओं की माला

बुक रीडिंग और साइनिंग सेशन में लेखक जनक भट्ट ने अपनी कृति के चुनिंदा अंशों का वाचन किया और उपस्थित पाठकों से जीवंत संवाद किया। इस सत्र में साहित्य प्रेमियों को लेखक की सोच और लेखन प्रक्रिया को करीब से समझने का अवसर मिला।

कवि सम्मेलन के अंतिम सत्र में भोपाल और दिल्ली से आए प्रख्यात कवियों और शायरों ने अपनी रचनाओं से माहौल को भावनाओं और सरगम से भर दिया। मंच पर संदीप द्विवेदी, धर्मेन्द्र सोलंकी, धरमवीर ‘धरम’, विपिन कुमार और आयुष आवर्त जैसे रचनाकारों की उपस्थिति ने आयोजन को विशेष बना दिया। संचालन की बागडोर स्वयं धरमवीर ‘धरम’ ने संभाली।

यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के स्वामी विवेकानंद और गणेश शंकर विद्यार्थी सभागारों में आयोजित किया गया। सृजन ने साहित्यिक रुचि रखने वालों को एक ऐसा अवसर प्रदान किया, जहाँ विचार, संवेदना और रचनात्मकता की गहरी धारा को अनुभव किया जा सकता था।