तहव्वुर राणा के खिलाफ NIA ने पटियाला हाउस कोर्ट में दाखिल की चार्जशीट, 13 अगस्त तक न्यायिक हिरासत बढ़ी

NIA ने मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा पर कसा शिकंजा, पटियाला हाउस कोर्ट में दायर की गई महत्वपूर्ण चार्जशीट, 13 अगस्त तक न्यायिक हिरासत में रहेगा तहव्वुर राणा, अमेरिका से प्रत्यर्पण के बाद जांच में मिली तेजी

Dilip Mishra
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तहव्वुर राणा के खिलाफ NIA ने पटियाला हाउस कोर्ट में दाखिल की चार्जशीट, 13 अगस्त तक न्यायिक हिरासत बढ़ी

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 2008 के मुंबई आतंकी हमले (26/11) के एक प्रमुख आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट में आतंकवाद से संबंधित गंभीर आरोपों में चार्जशीट दाखिल कर दी है। कोर्ट ने चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए तहव्वुर राणा की न्यायिक हिरासत को 13 अगस्त 2025 तक के लिए बढ़ा दिया है।

चार्जशीट में क्या हैं प्रमुख आरोप?

NIA द्वारा दायर चार्जशीट में तहव्वुर राणा पर लश्कर-ए-तैयबा (LeT) जैसे आतंकी संगठन के साथ मिलीभगत और मुंबई आतंकी हमलों की साजिश में शामिल होने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। एजेंसी ने उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) और UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) की कई धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है। चार्जशीट में दावा किया गया है कि राणा ने हमले की साजिश रचने में मुख्य साजिशकर्ता डेविड हेडली की मदद की थी।

अमेरिका से प्रत्यर्पण के बाद तेज हुई कार्रवाई

तहव्वुर राणा अमेरिका की जेल में सजा काट रहा था, लेकिन भारत सरकार के अनुरोध पर उसे भारत प्रत्यर्पित किया गया। प्रत्यर्पण के बाद NIA ने उसकी विस्तृत पूछताछ की, जिसमें कई अहम सुराग और साजिश से जुड़े पहलुओं का खुलासा हुआ। एजेंसी का कहना है कि राणा की भूमिका सिर्फ वित्तीय सहायता तक सीमित नहीं थी, बल्कि उसने रणनीतिक और रसद सहायता भी प्रदान की थी।

अदालत में पेशी के दौरान रही कड़ी सुरक्षा

सोमवार को तहव्वुर राणा को पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया, जहां NIA की विशेष अदालत ने उसकी न्यायिक हिरासत को 13 अगस्त तक बढ़ा दिया। पेशी के दौरान अदालत परिसर में भारी सुरक्षा बल तैनात किया गया था। कोर्ट ने NIA को निर्देश दिया कि वह अगली सुनवाई तक जांच से जुड़ी अन्य जानकारी भी प्रस्तुत करे।

भारत को न्याय दिलाने की दिशा में अहम कदम

भारत लंबे समय से तहव्वुर राणा को मुंबई हमले के सह-साजिशकर्ता के रूप में मानता रहा है और उसकी गिरफ्तारी व प्रत्यर्पण की मांग करता रहा है। अब जब वह भारत की एजेंसियों की गिरफ्त में है, तो यह न केवल पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि भारत की वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को भी मजबूती देता है।