देश के सर्वोच्च न्यायालय की ओर से समय-समय पर नागरिकों के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए जाते हैं. सभी नियम कायदों और नागरिकों के हित को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले सुनाता है. इसी कड़ी में सेना के जवानों को लेकर कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा है कि सेना के जवान दिव्यांग पेंशन के हकदार तभी माने जाएंगे जब सेवाकाल के दौरान दिव्यांग हुए हो या फिर सेवाकाल के दौरान यह स्थिति बढ़ गई हो.
न्यायमूर्ति अभय एस ओक और एम एम सुंदरेश की पीठ की ओर से केंद्र द्वारा दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई की जा रही थी. सुनवाई में सशस्त्र बल न्यायाधिकरण की ओर से सेना के जवानों को दिव्यांग पेंशन दिए जाने के आदेश को चुनौती दी गई थी.
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सुप्रीम कोर्ट ने अदालत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज की इस दलील से सहमत होते हुए सशस्त्र बलों के किसी जवान को चोट आने पर दिव्यांगता की स्थिति होने और सैन्य सेवा के बीच संबंध होने की बात कही. कोर्ट ने कहा कि जब तक दिव्यांगता सैन्य सेवा से नहीं जुड़ी हो या उसके कारण बढ़ी ना हो और 20% से ज्यादा ना हो तब तक दिव्यांग पेंशन की पात्रता नहीं होगी.
मामले में अदालत ने यह भी कहा कि जवान जब छुट्टी लेकर कहीं गया है और सड़क दुर्घटना का शिकार होता है तो वहां लगी चोट और सैन्य सेवा के बीच किसी तरह का संबंध नहीं माना जाएगा. इस तरह से व्यक्ति दिव्यांग पेंशन पाने का हकदार नहीं होगा.