दक्षिण अफ्रीका की क्रिकेट टीम ICC चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के सेमीफाइनल में अपनी जगह लगभग पक्की कर चुकी है। अब उनकी नजर 1 मार्च को कराची में इंग्लैंड के खिलाफ होने वाले मैच पर है, जिसमें अगर वे जीत हासिल करते हैं तो सेमीफाइनल में उनका स्थान सुनिश्चित हो जाएगा। लेकिन इसी दौरान दक्षिण अफ्रीका के क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक दुखद खबर सामने आई है।
दक्षिण अफ्रीका के पूर्व टेस्ट क्रिकेटर रॉन ड्रेपर का 98 साल और 63 दिन की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने मंगलवार को गकेबरहा स्थित रिटायरमेंट होम में अपनी आखिरी सांस ली। उनके परिवार ने शुक्रवार को इस खबर की पुष्टि की। रॉन ड्रेपर का निधन क्रिकेट जगत के लिए एक बड़ा सदमा है। क्यूंकि वह दुनिया के सबसे उम्रदराज जीवित टेस्ट क्रिकेटर थे।

Ron Draper का क्रिकेट करियर रहा काफी दिलचस्प
रॉन ड्रेपर का क्रिकेट करियर काफी दिलचस्प रहा। उन्होंने 1950 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दो टेस्ट मैचों में भाग लिया था। वह एक बेहतरीन टॉप-ऑर्डर बल्लेबाज थे और समय पड़ने पर विकेटकीपिंग भी करते थे। हालांकि, उनका टेस्ट क्रिकेट करियर बहुत छोटा रहा, जिसमें उन्होंने सिर्फ तीन पारियों में 25 रन ही बनाए। बावजूद इसके, उनकी फर्स्ट क्लास क्रिकेट में जबरदस्त छाप रही। 24 दिसंबर 1926 को जन्मे ड्रेपर ने 19 साल की उम्र में ऑरेंज फ्री स्टेट के खिलाफ ईस्टर्न प्रोविंस के लिए शतक जड़कर प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कदम रखा था।
फर्स्ट क्लास क्रिकेट करियर रहा शानदार
1950-51 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में उन्होंने शानदार 86 रन की पारी खेली थी। इसके बाद उन्हें राष्ट्रीय टीम में जगह मिली, हालांकि वह टेस्ट क्रिकेट में अपनी उम्मीदों के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर सके। फिर भी उनका फर्स्ट क्लास क्रिकेट करियर शानदार था। उन्होंने 1959-60 तक 41.64 की औसत से बल्लेबाजी की और अपनी टीम के लिए कई महत्वपूर्ण योगदान दिए।
अब कौन है सबसे उम्रदराज जीवित टेस्ट क्रिकेटर?
रॉन ड्रेपर के निधन के बाद, अब 96 वर्षीय ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर नील हार्वे दुनिया के सबसे उम्रदराज जीवित टेस्ट क्रिकेटर बन गए हैं। दक्षिण अफ्रीका के सबसे उम्रदराज टेस्ट क्रिकेटर होने का खिताब पहले नॉर्मन गॉर्डन और जॉन वॉटकिंस जैसे दिग्गज खिलाड़ी के नाम था।
क्रिकेट जगत में पसरा मातम
रॉन ड्रेपर का निधन न केवल दक्षिण अफ्रीका, बल्कि पूरी क्रिकेट दुनिया के लिए एक बड़ी क्षति है। उनकी यादें और योगदान हमेशा क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में जीवित रहेंगे और उनके द्वारा किए गए योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा।