इंदौर बावड़ी हादसा : सामाजिक कार्यकर्ता उठा रहें काफी समय से सवाल
बेलेश्वर महादेव स्थित बावड़ी के धस जाने से इंदौर के इतिहास में यह दिन अब काले पन्ने पर दर्ज हो गया हैं। बावड़ी में 54 लोग गिर गए थे। इस हादसे में 36 लोगों की मौत की खबर मिली और वहीं 18 लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया था। वहीं इसके बाद घटना के कई पहलू सामने भी आए हैं।
आपको बता दें कि अवैध निर्माण को लेकर जो नगर निगम द्वारा नोटिस भेजा गया था, जिसके बाद कोई भी एक्शन नहीं लिया गया था। इस अवैध निर्माण पर सामाजिक कार्यकर्ता किशोर दीपक कोडवानी 1970 से कई सवाल उठा रहें है। दीपक कोडवानी ने कहा कि यह जमीन इंदौर विकास प्राधिकरण के मास्टरप्लान योजना नंबर 31 में बगीचा की स्वीतकृत है। इसका पूरा क्षेत्रफल 1,64,900 वर्ग फिट है। निगम ने बिना लैंड डायवर्सन के टंकी का निर्माण, पार्षद का कार्यालय और 2 मंदिरों की स्वीकृति कैसे दे दी?
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आपको बता दें कि कोडवानी वहीं के निवासरत है, इस घटना से उस क्षेत्र के अलावा भी पूरा इंदौर हिल गया है। कोडवानी ने आगे कहा कि 1972 की बात है लिटिल फ्लावर स्कूल का एक बच्चा राजू श्रीनिवासन और मेरा किरायदार, इस बावड़ी के खुले होने से वह डूब गया और उसकी मौत हो गई। उन्होंने आगे यह कहा कि इस नोटिस का भ्रम देकर घटना के मूल्य तथ्यों से हमें भटकाया जा रहा है। आगे वे उन्होंने सवाल उठाया कि नये मन्दिर निर्माण (स्थानान्तरण) का नोटिस पर पुराने मंदिर को अनुमति नोटिस किसने दीया ? वहीं, सवाल के क्रम को आगे बढ़ाते हुए कोडवानी बोलें कि बावड़ी पर सिलेब किसने डाला ?
यह घटना बहुत दर्दनाक और नगर निगम की लापरवाही का नमूना है। हालांकि घटना के तुरंत बाद इंदौर विकास प्राधिकरण, इंदौर नगर निगम सभी चौकन्ने है। इस घटना की जांच पड़ताल भी की जा रही है। वहीं, सीएम शिवराज ने भी घटनास्थल पर पहुंच कर मृत लोगो के परिवार और पीड़ितों को मुआवजा देने की बात कही है।