Shasha Yoga : धन की अधिष्ठात्री देवी माता लक्ष्मी (lord laxmi) के पूजन का दिवाली (Diwali) के दिन काफी ज्यादा महत्व माना जाता है। ऐसे में इस दिवाली को चंद्र-मंगल के केंद्र और शनि के शश योग की साक्षी में मनाया जाएगा। मान्यताओं के अनुसार, दिवाली के इस खास त्यौहार पर इस प्रकार के शुभ योगों का संयोग लक्ष्मी प्राप्ति के लिए विशेष माना गया है। बताया जा रहा है कि दीपावली पर ग्रह, नक्षत्र व योगों का यह विशिष्ट संयोग 30 साल बाद बन रहा है।
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया है कि 4 नवंबर को दीपावली गुरुवार के दिन चित्रा नक्षत्र में आरंभ होगी और स्वाति नक्षत्र की साक्षी में प्रीति व आयुष्मान योग के संयुक्त क्रम में दीपोत्सव मनाया जाएगा। इसको अगर ग्रह गोचर की गणना से देखें तो दीपावली पर ग्रह, नक्षत्र व योगों का विशेष अनुक्रम बन रहा है। इसमें केंद्र के अंतर्गत चंद्र, मंगल, शनि का विशेष संयोग रहेगा। ये भी कहा जा रहा है कि ये उत्तरोत्तर वर्गोत्तम रहेंगे। वहीं सूर्य, मंगल व चंद्र की युति विशेष लाभ देने वाली रहेगी। यही नहीं केंद्र में शुभ ग्रहों का योग भी सहयोगात्मक रहेगा।
मकर राशि के शनि केंद्र में होने से बन रहा शश योग –
जानकारी के मुताबिक, भारतीय ज्योतिष शास्त्र में पंच महापुरुष योग का उल्लेख मिलता है। ऐसे में उन्हीं योगों में एक शश नाम का योग भी है। यह योग शनि के स्वराशि में केंद्रगत होने से बनता है। वहीं इस साल शनि स्वयं की राशि मकर में रहेंगे। ये स्थिति जनमानस के लिए अनुकूल बताई गई है। इसके चलते व्यापार व्यवसाय में प्रगति का नया सूत्रपात होगा।
पूजन के लिए प्रदोषकाल विशेष –
बताया जा रहा है कि दीपावली पर पूजन की मान्यता मुहूर्त विशेष पर निर्भर करती है। यदि श्रेष्ठ मुहूर्त में पूजन किया जाए, तो श्रेष्ठ फल मिलता है। धर्मशास्त्र के मुताबिक, लक्ष्मी पूजन का श्रेष्ठ समय प्रदोषकाल है। इसी समय वृषभ लग्न की साक्षी भी रहती है। इस बार प्रदोष काल शाम 6.20 से रात्रि 8.20 बजे तक रहेगा। इस मुहूर्त में पंचोपचार व षोडशोपचार पूजन करना चाहिए।