Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की रोशनी में क्यों रखते हैं खीर? जानें इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

Meghraj
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Sharad Purnima 2024: सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा को विशेष महत्व दिया जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जिससे जीवन में धन की कमी दूर होती है। यह त्योहार हर वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।

शरद पूर्णिमा 2024 का आयोजन

ज्योतिषी नीतिका शर्मा के अनुसार, शरद पूर्णिमा इस वर्ष 16 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन आसमान से अमृत की बूंदें बरसती हैं। चंद्रमा इस दिन पृथ्वी के सबसे करीब होता है, जिससे ग्रहों से निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा चंद्रमा की किरणों के माध्यम से धरती पर आती है।

दूध पौआ का महत्व

शरद पूर्णिमा पर दूध पौआ या खीर को खुले आसमान के नीचे रखने की परंपरा है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, चंद्रमा की किरणें इसे औषधीय गुण प्रदान करती हैं, जिससे खीर अमृत के समान बन जाती है और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है।

शरद पूर्णिमा 2024 का मुहूर्त
  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 16 अक्टूबर 2024 रात 8:45 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 17 अक्टूबर 2024 शाम 4:50 बजे
  • चंद्रमा उदय का समय: 16 अक्टूबर को शाम 5:10 बजे
पूजा विधि
  1. स्नान और शुद्धता: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदी में स्नान करें या गंगा जल से स्नान करें।
  2. पूजा स्थल की तैयारी: लकड़ी के पाटे पर लाल कपड़ा बिछाएं और माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
  3. अभिषेक और पूजा: देवी लक्ष्मी को लाल फूल, इत्र, नैवेद्य आदि से पूजा करें और लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें।
  4. आरती और अर्घ्य: पूजा के बाद आरती करें और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दें।
  5. खीर का भोग: खीर बनाकर चांदनी में रखें और आधी रात को देवी लक्ष्मी को भोग लगाएं।
कोजागरी पूर्णिमा का नाम

शरद पूर्णिमा को कई स्थानों पर कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। यह त्योहार विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में मनाया जाता है। यहां इसे धन और सुख-समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

भगवान श्रीकृष्ण का संबंध

पौराणिक मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महारास लीला रचाई थी। इस दिन विशेष रूप से भगवान चंद्र की पूजा की जाती है और खीर का भोग लगाया जाता है।

शरद पूर्णिमा का लाभ

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए जागरण करना चाहिए। इस दिन चंद्रमा की रोशनी से धरती दूधिया प्रकाश में नहाती है, जो विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस प्रकार, शरद पूर्णिमा एक धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण त्योहार है, जो समृद्धि और स्वास्थ्य के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।