गोवर्धन गौशाला की कदम वाटिका में सात दिवसीय भागवत कथा शुरू

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नारायण अपना धाम देने को तैयार पर हम जाना ही नहीं चाहते- पं. कमलकिशोर नागर

भागवत कथा से पूर्व निकली कलश यात्रा, हजारों मातृशक्तियों ने सिर पर कलश धारण कर गाए मंगल गीत

इन्दौर 2 अप्रैल। जिस प्रकार बार-बार किसी वस्तु के विज्ञापन से प्रभावित होकर उस वस्तु को पाने का प्रयत्न करते हैं उसी प्रकार हम बार-बार भगवान की कथा का श्रवण तो करते हैं लेकिन उसके पास हम जाना ही नहीं चाहते। नारायण तो हमारे लिए अपना धाम छोडऩे को तैयार रहते हैं लेकिन नर है कि अपना घर छोडऩे को तैयार ही नहीं होता। अत: समय तक वही इस संसार की माया में उलझा रहना चाहता है। उक्त विचार मंगलवार को गोम्मटगिरी जम्बर्डी हप्सी स्थित गोवर्धन गौशाला की कदम वाटिका में आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा के शुभारंभ अवसर पर मालवा माटी के संत पं. कमलकिशोर नागर ने सभी भक्तों को कथा का रसपान करवाते हुए व्यक्त किए। उन्होंने अपनी मालवी भाषा शैली में भक्तों को कथा में आगे कहा कि राजा परीक्षित कि तरह हमें भी भगवान के धाम को जाने का प्रयत्न करना चाहिए। कथा श्रवण तो हम करना चाहते हैं लेकिन भगवान के पास जाने की लालसा हमारी नहीं होती। जिस संसार में हमें अनेक दुख मिलते हैं फिर भी हम उसी संसार के बंधन से मुक्त होना नहीं चाहते।

श्रीमद् भागवत कथा आयोजक परमानंद गेहलोत, मुकेश गेहलोत एवं जयेश गेहलोत ने बताया कि सात दिवसीय भागवत कथा शुभारंभ से पूर्व भव्य कलश यात्रा व शोभायात्रा राधा-कृष्ण मंदिर से कथा स्थल तक निकाली गई। जिसमें मातृशक्तियां अपने सिर पर कलश धारण कर मंगल गीत गाते हुए मार्ग में चल रही थी। भागवत कथा की शोभायात्रा में बैंड़-बाजे, ढोलक के साथ ही गौ सेवक भक्त भजनों पर नाचते-झूमते चल रहे थे। दो हजार से अधिक गौ सेवक भक्त व मालवा-निमाड़ के श्रद्धालु शोभायात्रा में शामिल हुए तो वहीं कलश यात्रा में 251 कलशों वितरण किया गया। शुभारंभ अवसर पर व्यासपीठ का पूजन गेहलोत परिवार द्वारा किया गया।

श्रीमद् भागवत कथा गोवर्धन गौशाला समिति के सरदारसिंह सोलंकी, विनोद सोलंकी एवं संतोष नीमचा ने बताया कि गोम्मटगिरी जम्बडऱ्ी हप्सी स्थित गोवर्धन गौशाला की कदम वाटिका में सोमवार 8 अप्रैल तक भागवत कथा आयोजित की जाएगी। जिसमें गौ सेवक संत पं. कमलकिशोर नागर श्रद्धालुओं को मालवी भाषा शैली में कथा का रसपान कराएंगे। कथा प्रतिदिन दोपहर 12 से 3 बजे तक आयोजित की जाएगी। कथा स्थल पर मालवा व निमाड़ से आने वाले भक्तों रहने व ठहरने की व्यवस्था की गई है।