नई दिल्ली। संसद में आज एक बार फिर अर्मादित व्यवहार देखने को मिला। बता दें कि, राज्यसभा में आज यानि मंगलवार को एक बार फिर विपक्षी दलों के नेताओं ने जमकर हंगामा खड़ा किया। इतना ही नहीं बल्कि हंगामे के दौरान विपक्षी दलों के नेता वेल में पहुंचे और डेस्क पर चढ़कर आसन की तरफ रूल बुल भी फेंक दी। कई बार हुए हंगामे के बाद राज्यसभा की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
बता दें कि, शाम चार बजे सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होते ही अध्यक्ष भुवनेश्वर कलिता ने बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी। कृषि कानूनों के मुद्दे पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव को अल्पकालिक चर्चा में बदलने को लेकर विपक्षी सदस्यों, मुख्य रूप से कांग्रेस के लगातार हंगामे के कारण संसद के उच्च सदन में मंगलवार को कई बार कार्यवाही बाधित हुई। इसके बाद जब दोपहर तीन बजकर तीन मिनट पर राज्यसभा की दोबारा बैठक हुई तो कलिता ने कहा कि उपसभापति ने सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष के सदस्यों को चर्चा के लिए अपने कक्ष में बुलाया है।
साथ ही उन्होंने सदन की कार्यवाही शाम चार बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले दोपहर के भोजन के बाद के सत्र में सदन को दोपहर तीन बजकर तीन मिनट तक के लिए स्थगित कर दिया गया था। दरअसल, आज दोपहर 2 बजे लंच के बाद सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कलिता ने कृषि से संबंधित समस्याओं और उनके समाधान पर एक संक्षिप्त चर्चा शुरू करने का आह्वान किया।
इस पर अपना विरोध दर्ज कराने के लिए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सभापति से कहा कि ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के उनके नोटिस को सदन के संज्ञान में लाए बिना और बिना सहमति के ही चर्चा का समय कम कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय एकतरफा है। साथ ही केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि ऐसा कभी नहीं हुआ, लेकिन सदन की राय लेने की जरूरत है तो ले लीजिए। कलिता ने कहा कि यह अध्यक्ष का निर्णय है, इसलिए मैं इसमें बदलाव नहीं कर सकता और हम उसी आधार पर चर्चा करा रहे हैं।
साथ ही उन्होंने कहा कि, उन्होंने चर्चा शुरू करने के लिए भाजपा के विजय पाल सिंह तोमर को आमंत्रित किया। इस दौरान विपक्ष ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। तोमर ने सभापति से पूछा कि वह हंगामे के बीच कैसे बोल सकते हैं, लेकिन अपना भाषण जारी रखा और किसानों की खराब स्थिति के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया।
इसके साथ ही आज राज्यसभा में हद तो तब हो गई जब बीजद नेता प्रसन्ना आचार्य ने भी हंगामे के बीच अपनी बात रखी। विपक्षी सदस्य नारे लगाते रहे, आचार्य को सुनना मुश्किल हो गया और सभापति ने सदन को दोपहर 2.32 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। आचार्य जब बोल रहे थे, तभी विरोध कर रहे सदस्यों में से एक सांसद महासचिव की मेज पर चढ़ गए। वह सदन की वेल में रहे और नारेबाजी करते रहे। इस दौरान आसन की तरफ रूल बुक भी फेंकी गई।
इस दौरान जयराम रमेश ने तीन दिसंबर 2015 के आसन के फैसले का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि उक्त फैसले के मुताबिक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा का समय पूरे सदन के मामले को समझने और सहमति के बाद ही बदला जा सकता है। परंतु सदन के सदस्यों की कोई राय नहीं ली गई। यह एकतरफा है और मुझे स्वीकार्य नहीं है।
उन्होंने कहा कि मैंने 23 जुलाई को तीनों कृषि कानूनों और पिछले नौ-दस महीने से चल रहे किसान आंदोलन पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया था। आज, मुझे अपना नाम अल्पावधि चर्चा की सूची में दिखाई दिया। मेरे ध्यानाकर्षण प्रस्ताव को अल्पावधि की चर्चा में परिवर्तित कर दिया है। यही वजह रही कि दोपहर 2.32 बजे संक्षिप्त स्थगन के बाद जब सदन की बैठक दोबारा शुरू हुई तो विपक्षी सांसदों ने फिर नारेबाजी शुरू कर दी। इसके बाद कलिता ने कार्यवाही 30 मिनट के लिए अपराह्न 3.03 बजे तक के लिए स्थगित कर दी थी।