कोरोना के विकट समय में पूरी दुनिया आज भारतीय तौर-तरीकों के साथ जीवन यापन कर रही है. यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को कही. मोहन भागवत ने कहा कि, ”50 साल पहले, जैविक खाद की एक योजना केंद्र द्वारा डंप की गई थी क्योंकि इसे स्वदेशी दिमाग द्वारा विकसित किया गया था, लेकिन आज दुनिया के सामने कोई और विकल्प नहीं है. बता दें कि भारतीय मजदूर संघ के नेता दत्तोपंत ठेंगडी की 100वीं जयंती के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था, इसमें मोहन भागवत भी शामिल हुए.
राजस्थान के कोटा में इस कार्यकम को संबोधित करते हुए सरसंघचालक ने कहा कि, ”पूरा विश्व पिछले छह महीनों में कोरोना वायरस द्वारा पस्त होने के बाद पर्यावरण के अनुकूल होने के लिए विकास के तरीकों का अभ्यास करने के लिए भारतीय विचार प्रक्रिया के मूल तत्वों की ओर लौट रही है.’
दत्तोपंत ठेंगडी की 100वीं जयंती के अवसर पर मोहन भागवत ने कहा कि, ”भारत में कृषि कभी भी व्यापार का विषय नहीं थी, हालांकि दुनिया इसे कृषि अर्थशास्त्र के रूप में देखती है. हमने इसे देवी लक्ष्मी की पूजा के साधन के रूप में, प्रतिष्ठा की देवी के रूप में देखा है, न कि व्यापार के संचालन के साधन के रूप.”