Radha Ashtami 2023: अगर आप पहली बार रखने जा रहे हैं राधा अष्टमी व्रत, तो इसे करने से पहले जान लें ये जरुरी बातें

Author Picture
By Simran VaidyaPublished On: September 21, 2023

Radha Ashtami 2023: हिंदू सनातन धर्म में भादों का महीना अपने साथ कई सारे बड़े और अनेकों त्यौहारों की बौछार लेकर आता हैं। जिसके आने मात्र से प्रमुख बड़े पर्वों का शुभारंभ हो जाता हैं। जिसमें कृष्ण जन्माष्टमी, हरतलिका तीज, गणेश चतुर्थी, ऋषि पंचमी, हल छठ, संतान सप्तमी, और अब आने वाली हैं। हमारे बाल गोपाल श्री कृष्ण जी की सबसे प्रिय तिथि अर्थात राधा अष्टमी जो की शुक्लपक्ष की अष्टमी की तिथि कहलाएगी।

अर्थात इस व्रत की काफी ज्यादा मान्यता और धार्मिक महत्व माना जाता है। जैसा कि इस चीज को सब ही जानते हैं की इस दिन भगवान मुरलीधर कान्हा की बेहद प्यारी और प्रिय राधा रानी का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। साथ ही देवी राधा रानी की पूजा और व्रत से संबंधित यह त्यौहार श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव से पूरे 15 दिन बाद पड़ता है। इस वर्ष यह व्रत 23 सितंबर 2023, शनिवार के दिन रखा जाएगा। साथ ही हिंदू मान्यता के आधार पर भगवान श्रीकृष्ण की अर्चना और उनके लिए जन्माष्टमी पर किया जाने वाला यह उपवास राधाष्टमी की पूजा के बिना अधूरा माना जाता है।

चलिए फिर जानते हैं राधा रानी के जन्मोत्सव की पूजा की पूरी और सही विधि।

अष्टमी वाले दिन इस तरह करें पूजा

यदि आप पहली दफा राधा माता के लिए उपवास रखने जा रही हैं, तो आपको 23 सितंबर 2023 के सवेरे सूर्योदय से पूर्व जागना चाहिए। साथ ही राधाष्टमी व्रत वाले दिन सवेरे ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-ध्यान आदि से निवृत होने के बाद ग्रहों के राजा भगवान सूर्य को श्रद्धा के साथ जल अर्पित करना चाहिए। फिर उसके बाद राधा माता के उपवास को पूरे विधि-विधान से करने का संकल्प लें। इसके बाद घर के ईशान कोण या फिर अपने घर के पूजा स्थल पर मां राधा की मूर्ति या फिर तस्वीर को गंगा जल की सहायता से पवित्र कर स्वच्छ कर लें। इसके पश्चात उनके आगे एक मृदा या तांबे के पात्र में जल सिक्के और आम के पत्ते या फिर अशोक के पत्ते रखकर उस पर श्री फल रख दें।

अब जातकों को चाहिए की राधा प्यारी की तस्वीर या मूर्ति को पीले वस्त्र से बने पात्र पर रखें और उसके बाद पंचामृत से उनका स्नान कराएं। इसके बाद एक पुनः उन्हें जल अर्पित करें और फूल, चंदन, धूप, दीप, फल आदि चढ़ाने के बाद उनकी विधि-विधान से पूजा और उनकी साज सज्जा करें।

राधा जी के उपवास में उन्हें भोग लगाने के बाद भगवान श्री बाल गोपाल की भी विधि-विधान से पूजन कीर्तन करें और उन्हें प्रसाद केडी रूप में फल और मिठाई के साथ तुलसी दल ध्यान से अर्पित करें। इसके पश्चात राधा रानी के पावन मंत्र का जाप या उनके स्तोत्र का पाठ करें। फिर पूजा के लास्ट में श्री राधा जी और भगवान श्रीकृष्ण की विधिवत आरती उतारे और समस्त भक्तगण को माता और भगवान का आशीष प्रसाद के रूप में बांटें और स्वयं भी इसे खाए।

राधा अष्टमी व्रत का महत्व

राधा अष्टमी के व्रत को रखने से खंडित न होने वाले अर्थात अक्षय सुख की प्राप्ति होता हैं। और पलक झपकते की लोगो के कष्ट दूर हो जाते हैं।