मध्यप्रदेश में प्राकृतिक संसाधनों की खोज के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि सामने आई है। प्रदेश के सिंगरौली जिले में दुर्लभ मृदा तत्वों यानी रेयर अर्थ एलिमेंट्स (REEs) का विशाल भंडार मिला है। यह खोज भारत में पहली बार इतनी बड़ी मात्रा में हुई है, जो न केवल राज्य बल्कि पूरे देश के लिए विकास की नई राह खोलेगी। इन खनिजों के जरिए अब भारत मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा उपकरणों के निर्माण में आत्मनिर्भर बन सकेगा। इससे चीन पर निर्भरता घटेगी और भारत वैश्विक बाजार में मजबूत प्रतिस्पर्धी के रूप में उभरेगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि इस खोज से मध्यप्रदेश अब केवल ऊर्जा राजधानी ही नहीं, बल्कि क्रिटिकल मिनरल्स की राजधानी के रूप में भी जाना जाएगा।
रेयर अर्थ एलिमेंट्स: आधुनिक तकनीक की रीढ़
रेयर अर्थ एलिमेंट्स को आधुनिक टेक्नोलॉजी का आधार माना जाता है। अब तक भारत इन खनिजों के लिए चीन जैसे देशों पर निर्भर था। लेकिन सिंगरौली में इनकी उपलब्धता ने भारत को एक नई दिशा दी है। ये खनिज ग्रीन एनर्जी, रक्षा उपकरण, इलेक्ट्रिक वाहन और हाई-टेक इंडस्ट्रीज में बेहद जरूरी भूमिका निभाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस खोज के बाद भारत आयात पर निर्भर नहीं रहेगा और वैश्विक मंच पर तकनीकी क्षेत्र में अग्रणी बन सकेगा।
कोल इंडिया की खोज और आंकड़े
कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा किए गए शोध में सिंगरौली की कोयला खदानों और चट्टानों में रेयर अर्थ एलिमेंट्स पाए गए हैं। इनकी सांद्रता कोयले में औसतन 250 पीपीएम और गैर-कोयला स्तर पर 400 पीपीएम आंकी गई है। जुलाई 2025 में इस खोज की आधिकारिक घोषणा की गई। भविष्य में कोयले की राख और खदानों के अवशेष भी क्रिटिकल मिनरल्स के सेकेंडरी स्रोत के रूप में इस्तेमाल किए जा सकते हैं। केन्द्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने संसद में बताया कि इतनी बड़ी मात्रा में पहली बार इन तत्वों की पहचान हुई है, जो भारत को ग्रीन एनर्जी और रक्षा तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस और रिसर्च की तैयारी
रेयर अर्थ एलिमेंट्स की इस उपलब्धि को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार अब इनके प्रसंस्करण और रिसर्च पर जोर दे रही है। खनिज संसाधन विभाग के अधिकारियों ने हाल ही में इंडियन रेयर अर्थ लिमिटेड (IREL) की भोपाल इकाई का दौरा किया और संभावित सहयोग पर चर्चा की। सरकार प्रदेश में इन पर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने की योजना बना रही है, ताकि इन तत्वों का कुशल दोहन और उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।
भारत को आत्मनिर्भर बनाने वाला खजाना
सिंगरौली में मिले इन खनिजों से भारत की ग्रीन एनर्जी, इलेक्ट्रिक वाहनों और हाई-टेक इंडस्ट्री की राह और मजबूत होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले समय में भारत इन तत्वों के जरिए रक्षा तकनीक, इलेक्ट्रॉनिक्स और स्वास्थ्य सेवाओं में नए मुकाम हासिल करेगा। चीन पर निर्भरता खत्म होगी और भारत वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित होगा।
किन खनिजों में मिलते हैं REEs
रेयर अर्थ एलिमेंट्स प्राकृतिक रूप से कई खनिज संरचनाओं में पाए जाते हैं। इनमें बास्टनेसाइट, जेनोटाइम, लोपेराइट और मोनाजाइट प्रमुख हैं। भारत के तटीय इलाकों की रेत और ग्रेनाइट मिट्टी भी इन तत्वों से भरपूर होती है।
रेयर अर्थ एलिमेंट्स के प्रमुख उपयोग
• इलेक्ट्रॉनिक्स और स्मार्टफोन: यूरोपियम, टर्बियम और यिट्रियम का उपयोग LED, LCD और डिस्प्ले बनाने में होता है। स्मार्टफोन और कैमरा लेंस 50% तक लैथेनम से बने होते हैं।
• रक्षा और अंतरिक्ष तकनीक: सैमरियम-कोबाल्ट और नियोडिमियम मैग्नेट उपग्रह, हथियार और रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स में अहम हैं।
• पेट्रोलियम इंडस्ट्री: लैंथेनम और सेरियम कैटेलिटिक कन्वर्टर्स में उत्सर्जन कम करने के लिए इस्तेमाल होते हैं।
• इलेक्ट्रिक वाहन: नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन और सैमरियम-कोबाल्ट चुम्बक ई-व्हीकल्स और पवन ऊर्जा संयंत्रों में आवश्यक हैं।
• ऑटोमोबाइल सेक्टर: हाइब्रिड वाहनों की बैटरियों में लैथेनम आधारित मिश्रधातुओं का प्रयोग होता है।
• स्टील इंडस्ट्री: मिशमेटल (सेरियम, लैथेनम, नियोडिमियम और प्रेजोडायमियम का मिश्रण) से इस्पात की गुणवत्ता बेहतर होती है।
• स्वास्थ्य क्षेत्र: गैडोलीनियम MRI स्कैन में कंट्रास्ट एजेंट के रूप में उपयोगी है, जबकि ल्यूटेटियम और यिट्रियम कैंसर ट्रीटमेंट और PET इमेजिंग में अहम भूमिका निभाते हैं।