April Pradosh Vrat : कब हैं अप्रैल महीनें का पहला प्रदोष व्रत? जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

अप्रैल माह का पहला प्रदोष व्रत 10 अप्रैल को मनाया जाएगा, जो भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष अवसर है। इस दिन भक्त विधिपूर्वक पूजा करके जीवन की समस्याओं का समाधान और सुख-शांति की प्राप्ति कर सकते हैं।

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Pradosh Vrat in April : प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित एक विशेष व्रत है, जिसे हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। इस दिन, भगवान शिव और माता पार्वती के साथ संपूर्ण शिव परिवार की पूजा का महत्व बहुत अधिक है।

शिवपुराण में इसका विशेष उल्लेख मिलता है, जहां यह कहा गया है कि इस दिन भक्ति भाव से भगवान शिव की पूजा करने से जीवन की तमाम समस्याएं समाप्त हो जाती हैं और घर में सुख-शांति का वास होता है।

कब हैं अप्रैल महीनें का पहला प्रदोष व्रत? (April Pradosh Vrat)

अप्रैल माह का पहला प्रदोष व्रत चैत्र माह शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाएगा, जो 9 अप्रैल को रात 10:55 बजे से आरंभ होकर 11 अप्रैल को रात 10 बजे तक चलेगा। इस दौरान पूजन प्रदोष काल (शाम 6:44 से 8:59 बजे तक) किया जाएगा, जिसमें भक्तों को विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए।

प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत का विशेष शुभ मुहूर्त शाम 6:44 बजे से 8:59 बजे तक रहेगा। इस समय के बीच भक्तों को पूजा करनी चाहिए ताकि उनका व्रत सही तरीके से सम्पन्न हो सके।

प्रदोष व्रत पूजा सामग्री

इस व्रत को विधिपूर्वक करने के लिए विशेष पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है। आवश्यक सामग्री में शामिल हैं:

  • कनेर का फूल
  • गंगाजल
  • दूध और पवित्र जल
  • अक्षत
  • शहद
  • फल
  • सफेद मिठाई
  • सफेद चंदन
  • बेल पत्र
  • भांग
  • धूपबत्ती
  • प्रदोष व्रत कथा की पुस्तक

भगवान शिव के मंत्र

प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा में निम्नलिखित मंत्रों का उच्चारण करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है:

  • “ऊँ नमः शिवाय”
  • “ऊँ नमो भगवते रुद्राय नमः”
  • “ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र प्रचोदयात्”
  • “ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्”

प्रदोष व्रत का आध्यात्मिक लाभ

इस व्रत का एक विशेष आध्यात्मिक महत्व भी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत से न केवल जीवन में सुख-शांति का वास होता है, बल्कि यह व्यक्ति के आध्यात्मिक उत्थान के लिए भी लाभकारी होता है। इसके अलावा, यह व्रत विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने और मनचाहा जीवनसाथी पाने में भी मदद करता है।

Disclaimer: यहां दी गई सारी जानकारी केवल के सामान्य सूचना है। इसे अमल में लाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। किसी भी सूचना के सत्य और सटीक होने का दावा Ghamasan.com नहीं करता।