RBI करेगा मौद्रिक नीति की घोषणा, ब्याज दरें बढ़ेंगी या घटेंगी आज होगा फैसला

Meghraj
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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) जल्द ही अपनी मौद्रिक नीति की घोषणा करने जा रहा है, जिसके तहत राज्यपाल शक्तिकांत दास और अन्य समिति सदस्यों की भूमिका पर सबकी नजरें टिकी हैं। पिछले 9 बैठकों में आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है, और 2023 के लिए ब्याज दर 6.50 फीसदी पर बनी हुई है। इस बार की बैठक 7 अक्टूबर से शुरू हुई थी, और आज क्रेडिट नीति के संबंध में निर्णयों की घोषणा होने की उम्मीद है।

विशेषज्ञों की भविष्यवाणी

विभिन्न वित्तीय समाचार चैनलों और संस्थानों के अर्थशास्त्री इस विषय पर अलग-अलग राय रख रहे हैं। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि आरबीआई ब्याज दरों में 0.25 से 0.50 फीसदी की कटौती कर सकता है, जबकि अन्य का मानना है कि ब्याज दरें स्थिर रह सकती हैं और कोई परिवर्तन नहीं होगा।

जनता पर प्रभाव

यदि आरबीआई ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करता है, तो बैंक भी ऋण पर ब्याज नहीं घटाएंगे, जिससे देश में बैंकों द्वारा दिए जाने वाले कर्ज की ब्याज दरें अपरिवर्तित रहेंगी। यदि ब्याज दरों में कमी होती है, तो बैंकों को अपनी उधारी दरें कम करनी होंगी, जिससे होम लोन और कार लोन जैसी सुविधाओं पर ब्याज दरें घटेंगी। खासकर त्योहारी सीजन में इस कमी का फायदा ग्राहकों को मिल सकता है।

वैश्विक स्थिति का प्रभाव

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए वैश्विक विकास दर 3.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, लेकिन विभिन्न देशों में चल रहे संघर्ष इस अनुमान को प्रभावित कर सकते हैं। इज़राइल और ईरान के बीच तनाव, और रूस-यूक्रेन संघर्ष जैसे मुद्दों के कारण विश्व के बैंकों को कड़े फैसले लेने पड़ सकते हैं।

भारत की आर्थिक स्थिति

2024-25 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी 7.2 फीसदी रही, जो विकासशील देशों में एक सकारात्मक संकेत है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने अपनी ऋण नीति में 0.50 फीसदी की कटौती की है, जिससे वैश्विक स्तर पर क्रेडिट नीति में बदलाव देखने को मिला है। यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने भी ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कमी की है, और चीन के केंद्रीय बैंक ने भी अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए उपाय शुरू किए हैं।

वैश्विक अस्थिरता और आरबीआई के निर्णय

वैश्विक स्तर पर अस्थिरता को देखते हुए आरबीआई की क्रेडिट नीति पर ध्यान केंद्रित किया गया है। ईरान और इज़राइल के बीच संभावित युद्ध से खाद्य आपूर्ति प्रणाली बाधित हो सकती है, जिससे कुछ देशों की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है। इन सभी कारकों और महंगाई के संदर्भ में, आरबीआई बड़ा फैसला ले सकता है, चाहे वह रेपो रेट में कटौती हो या मौजूदा दरों को बनाए रखना।