जयपुर: राजस्थान की सियासी जंग अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है। विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी का कहना है कि किसी विधायक को नोटिस देने या उसे अयोग्य घोषित करने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष को होता है। जबतक मैं कोई निर्णय नहीं लेता, अदालत मामले में दखल नहीं दे सकता है।
अब हाईकोर्ट के निर्णय को लेकर विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी सुप्रीम कोर्ट में SLP दाखिल करेंगे। सीपी जोशी ने कहा कि अभी सिर्फ विधायकों को नोटिस दिया गया है, कोई फैसला नहीं लिया गया है। यदि हम कोई फैसला करते हैं, तो कोर्ट रिव्यू कर सकता है. हमारी अपील है कि विधानसभा के अध्यक्ष के काम में हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए
सीपी जोशी ने कहा कि वो हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में SLP देंगे, क्योंकि अदालत स्पीकर के काम में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। 1992 में संविधानिक बेंच ने यह तय कर दिया है कि दल-बदल कानून पर स्पीकर ही फैसला लेगा, ऐसे में स्पीकर के निर्णय लेने के बाद रिव्यू का अधिकार हाईकोर्ट के पास है।
दरअसल, कांग्रेस की विधायक दल की बैठक में शामिल ना होने के बाद स्पीकर की ओर से सचिन पायलट और उनके साथियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। इसी के बाद पायलट गुट ने हाईकोर्ट का रुख किया था, अदालत में दलील दी गई कि स्पीकर सिर्फ विधानसभा की कार्यवाही के दौरान ही ऐसे व्हिप के बाद नोटिस दे सकता है. जबकि दूसरी ओर से कहा गया कि अभी स्पीकर ने कोई एक्शन नहीं लिया है, ऐसे में अदालत इस मामले में दखल ना दे।
शुक्रवार से मंगलवार तक चली इस सुनवाई के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। 24 जुलाई को मामले की फिर सुनवाई होगी, तबतक स्पीकर को विधायकों पर कोई कानूनी एक्शन ना लेने को कहा गया है।