पीएम मोदी ने किया शताब्दी समारोह संबोधित, यूनिवर्सिटी के छात्रों से की खास अपील

Ayushi
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पीएम मोदी ने आज यानी गुरुवार को पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन स्थित विश्व भारती विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में शामिल हुए। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस कार्यक्रम को सम्बोधित किया। आपको बता दे, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी इस समारोह के दौरान मौजूद रहे। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि विश्वभारती की सौ वर्ष यात्रा बहुत विशेष है।

विश्वभारती, माँ भारती के लिए गुरुदेव के चिंतन, दर्शन और परिश्रम का एक साकार अवतार है। भारत के लिए गुरुदेव ने जो स्वप्न देखा था, उस स्वप्न को मूर्त रूप देने के लिए देश को निरंतर ऊर्जा देने वाला ये एक तरह से आराध्य स्थल है। उन्होंने कहा विश्वविभारती के 100 वर्ष होना प्रत्येक भारतीय के गौरव की बात है। मेरी लिए भी ये सौभाग्य की बात है कि आज के दिन इस तपोभूमि का पुण्य स्मरण करने का अवसर मिल रहा है।

छात्रों को पीएम मोदी ने दिया टास्क –

इस संबोधन में पीएम मोदी ने छात्रों के लिए कहा कोरोना काल के कारण इस बार विश्वभारती के मेले का आयोजन नहीं हुआ। विश्वभारती के छात्र-छात्राएं पॉश मेले में आने वाले लोगों से संपर्क करें, कोशिश करें कि उनकी कलाकृतियां कैसे ऑनलाइन तरीके से बेची जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि गुरुदेव कहते थे कि लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अकेला चलना हो, तो चल पड़िए। जब आजादी का आंदोलन चरम पर था, तब बंगाल उसे दिशा दे रहा था। लेकिन साथ ही बंगाल ने संस्कृति के क्षेत्र में भी काम किया।

पीएम मोदी बोले – पर्यावरण संरक्षण में विश्व का नेतृत्व कर रहा भारत

उन्होंने कहा हमारा देश, विश्व भारतीयों से निकले संदेश को पूरे विश्व तक पहुँचा जा रहा है। भारत आज अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण में विश्व का नेतृत्व कर रहा है। भारत आज इकलौता बड़ा देश है जो पेरिस समझौते के पर्यावरण के लक्ष्यों को प्राप्त करने के सही मार्ग पर है। जब हम स्वतंत्रता संग्राम की बात करते हैं तो हमारे मन में सीधे 19-20वीं सदी का विचार आता है। लेकिन ये भी एक तथ्य है कि इन आंदोलनों की नींव बहुत पहले रखी गई थी। भारत की आजादी के आंदोलन को सदियों पहले से चले आ रहे अनेक आंदोलनों से ऊर्जा मिली थी। भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता को भक्ति आंदोलन ने मजबूत करने का काम किया था। भक्ति युग में, हिंदुस्तान के हर क्षेत्र, हर इलाके, पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण, हर दिशा में हमारे संतों ने, महंतों ने, आचार्यों ने देश की चेतना को जागृत रखने का प्रयास किया।

ज्ञान की सरिता का ये संगम, आजादी के आंदोलन की चेतना बन गया –

पीएम मोदी ने कहा कि भक्ति का ये विषय तब तक आगे नहीं बढ़ सकता जब तक महान काली भक्त श्रीरामकृष्ण परमहंस की चर्चा ना हो। वो महान संत, जिनके कारण भारत को स्वामी विवेकानंद मिले। उन्होंने भक्ति का दायरा बढ़ाते हुए हर व्यक्ति में दिव्यता को देखना शुरु किया। उन्होंने व्यक्ति और संस्थान के निर्माण पर बल देते हुए कर्म को भी अभिव्यक्ति दी, प्रेरणा दी। भक्ति आंदोलन वो डोर थी जिसने सदियों से संघर्षरत भारत को सामूहिक चेतना और आत्मविश्वास से भर दिया। स्वामी विवेकानंद भक्ति, ज्ञान और कर्म, तीनों को अपने में समाए हुए थे।